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जालोर

सदी का सबसे लम्बी अवधि वाला खग्रास चंद्र ग्रहण

यह ग्रहण 104 साल बाद आ रहा है जो करीब पौने चार घण्टे का होगा

जालोरJul 25, 2018 / 11:40 am

Dharmendra Kumar Ramawat

Moon eclipse in Jalore

The longest duration of the century, the moon eclipse on 27-28 July

भीनमाल. इस साल द्वितीय खग्रास चन्द्र ग्रहण (वैसे चतुर्थ ग्रहण, दो सूर्य ग्रहण सहित) शुक्रवार, आषाढ़ शुक्ला पूर्णिमा, 27/28 जुलाई को भारत में होगा। शास्त्री प्रवीण त्रिवेदी ने बताया कि यह ग्रहण उत्तराषाढ़ा व श्रवण नक्षत्र एवं मकर राशि पर रहेगा, जिसमें मकर राशि पर ज्यादा असर कारक है। यह ग्रहण मिथुन, तुला, मकर व कुंभ राशि वालों के लिए अशुभ रहेगा, वृषभ, कर्क, कन्या व धनु राशि वालों के लिए मध्य व मेष, सिंह, वृश्चिक व मीन राशि वालों के शुभ रहेगा। साथ ग्रहण काल में मंगल व शनि का द्विर्दादश योग होने से विश्वस्तर पर मानसिक तनाव से शीतयुद्ध व सत्ता परिवर्तन जैसी घटनाएं घटित होने की संभावना रहेगी। ग्रहण काल मेष व वृषभ लग्न में हो रहा है। मेष लग्न में लग्नेश अपनी उच्च राशि पर कर्म भाव में जाने से सत्ता को लेकर राज्य, देश व विश्वस्तर पर कई नए आयाम व परिवर्तन के संकेत देखने को मिलेंगे। बृहस्पति की अपनी शत्रु राशि होने से पृथ्वीवासियों के लिए अशुभता का संदेश रहता हैं। ग्रहण का वेध 27 जुलाई को दोपहर 12.45 से शुरू होगा। अशक्त लोगों व गर्भवती महिलाओं आदि के लिए शाम 5 बजे से वैध लगेगा।
स्पर्श रात 11.54 से, मोक्ष 3 बजकर 49 बजे
शास्त्री प्रवीण त्रिवेद के अनुसार ग्रहण का स्पर्श 27 जुलाई को भारतीय समयानुसार रात 11 बजकर 54 मिनट पर है एवं ग्रहण मोक्ष 28 जुलाई को तड़के 3 बजकर 49 मिनट पर रहेगा। ग्रहण मध्य 28 जुलाई को तड़के एक बजकर 52 मिनट पर रहेगा। यह ग्रहण भारत सहित संपूर्ण यूरोप, एशिया, आस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिण व उत्तर अमरिका, पेसिफिक महासागर, अेटलांटिक महासागर, हिन्द महासागर व अन्टार्कटिका में दिखाई देगा। विश्वभर के मुख्य शहर देखे तो टोकियो, ब्रसेल्स, लीरबन, लंदन, बुडापेस्ट, कैरो, अंकारा, जकार्ता, अेथेन्स, रोम, यान्गोन, मेडरीड, सिडनी, दिल्ली, मेलबोर्न, पेरिस, मास्को, बीजिंग, रीओ डीजानेरो व आर्जेन्टिना में दिखाई देगा।
ग्रहण पर होता है दान-पुण्य का विशेष महत्व
ग्रहण के समय स्नान करके देवपूजा, तर्पण, श्राद्ध, जप, होम व दान करें। ग्रहण पूर्ण होने पर पुन: दान करें। जननशौच या मृतात्माशौच में ग्रहण संबंधी स्नान, दान आदि कर्म करने की शुद्धि है। मंत्र-तंत्र पुनश्चरण संबंधी-नए मंत्र ग्रहण करना व पुनश्चरण करना हो तो ग्रहण काल में तुरंत फलदायी होते है। ग्रहण काल में किए जाने वाले कृत्यों के स्थान पर नींद आदि करने से बुखार आदि पीड़ा, मूत्रोत्सर्ग करने से मूत्र संबंधी रोग या दरिद्रता, शौच करने से कृमि रोग, अभ्यंग करने से कुष्ठ रोग व भोजन करने से नरक की प्राप्ति होती है।

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