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जालोर

वारदात के खुलासे की बजाय चिकित्सा विभाग ने बंद किए दरवाजे, उठ रहे कई सवाल

अरणाय के सूने खेत में नवजात कन्या को जिन्दा फेंकने का मामला, जुबानी जांच का पुलिस भी महज करती रही दावा

जालोरMay 25, 2018 / 10:55 am

Dharmendra Kumar Ramawat

newborn thrown in farm

वारदात के खुलासे की बजाय चिकित्सा विभाग ने बंद किए दरवाजे, उठ रहे कई सवाल

वारदात के दूसरे दिन ही ठंडे बस्ते में डाल दिया मामला…देखें वीडियो
सांचौर. क्षेत्र के अरणाय स्थित एक सूने खेत की रोही में सात घंटे पूर्व जन्मी नवजात कन्या को जिन्दा फेंकने की वारदात के बावजूद चिकित्सका विभाग गम्भीर नजर नहीं आ रहा है। इस मामले में दो दिन बाद भी ना तो किसी अधिकारी ने घटनास्थल का दौरा किया और ना ही मामले के खुलासे को लेकर कोई टीम गठित की गई। जबकि चिकित्सा विभाग के वार्ड स्तर पर आंगनबाड़ी केंद्र होने के साथ-साथ आशा सहयोगिनी व एएनएम सहित स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर प्रसूताओं की रिपोर्ट लेते रहते हैं।
ऐसे में बेटी बचाओ अभियान की भी खुले आम धज्जियां उड़ाई जा रही है। अरणाय में हुई इस घटना के बाद ग्रामीणों की सूचना पर 108 एम्बुलेंस व करड़ा पुलिस भी पहुंची, लेकिन चिकित्सा विभाग का कोई भी कार्मिक घटना स्थल पर नहीं पहुंचा।
वहीं मामले की जांच की बजाय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर लाई गई नवजात कन्या को शिशु वार्ड में रखने के बाद कागजी खानापूर्ति कर जोधपुर स्थित बाल शिशु गृह के लिए रवाना कर इतिश्री कर ली गई। इसके बावजूद मामले में गम्भीरता नहीं दिखाना विभागीय कार्यशैली को सवालों के घेेरे में खड़ा कर रहा है।
अरणाय में बुधवार को मानवता को झकझोरने वाली इस वारदात ने प्रशासन के उदासीन रवैये से कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
सवाल जो मांग रहे जबाब…
– ढाणियों के पास सूने खेत में 7 घंटे पूर्व जन्मी नवजात कन्या को फेंकने के दौरान आखिर किसी को भनक क्यों नहीं लगी?
– सूचना पर पुलिस जरूर मौके पर पहुंची, लेकिन आखिर क्या वजह रही कि वारदात के दो दिन बाद भी ना तो प्रशासन ने घटनास्थल पर पहुंच जानकारी ली और न ही चिकित्सा विभाग ने इसे गम्भीर माना?
– घटनास्थल के आस-पास की ढाणियों व मौहल्लों में किसी तरह की पड़ताल नहीं करने की वजह क्या रही होगी?
– अरणाय में उपस्वास्थ्य केंद्र होने के बावजूद विभाग द्वारा मामले में गम्भीरता नहीं बरतने का कारण क्या रहा?
– उच्चाधिकारियों ने वारदात के प्रति उदासीन अधिकारियों को अब तब तलब क्यों नहीं किया और जांच के आदेश क्यों नहीं दिए?
प्रसव से पहले 9 माह तक प्रसूता की जांच और दवाएं निजी या सरकारी अस्पताल में जरूरी हुई होगी। इसके बावजूद इस मामले की जांच में ढिलाई बरतने का कारण क्या रहा?

अरणाय में लावारिस मिली नवजात शिशु का जालोर में उपचार शुरू
जालोर. करड़ा पुलिस थाना ने लावारिस नवजात शिशु को मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य केन्द्र एसएनसीयू वार्ड में भर्ती करवाया। जिसका उपचार एमसीएच में किया जा रहा है। अरणाय सरहद में एक नवजात शिशु के लावारिस हालत में पड़े होने की सूचना पर पुलिस थाना करड़ा की ओर से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांचौर में लाकर एक मेडिकल टीम का गठन किया गया। टीम की ओर से नवजात बालिका को इलाज के लिए जालोर के एमसीएच में भेजा गया। नवजात शिशु को किसी अज्ञात ने असुरक्षित स्थान पर डाल दिया गया था। पुलिस थाना करडा की ओर से नवजात शिशु बालिका को बाल कल्याण समिति जालोर को संरक्षण में देने के लिए पत्र दिया गया। जिस पर कार्रवाई करते हुए बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष मंगलसिंह राजपुरोहित, सदस्य महेन्द्र मुणोत, सदस्य रामप्रकाश खबाणी एवं सहायक निदेशक जिला बाल संरक्षण इकाई ज्योतिप्रकाश अरोड़ा ने एमसीएच जाकर नवजात बालिका के स्वास्थ्य संबंधित जानकारी ली। उन्होंने अस्पताल प्रभारी को नवजात बालिका के देखरेख व उचित उपचार के संबंध में दिशा निर्देश दिए। एमसीएच सेन्टर जालोर में मदर मिल्क बैंक की सुविधा व नियोनेटल केयर की सुविधा देने, नवजात शिशु की प्राथमिक देखरेख व चिकित्सा उपचार के लिए उसे आगामी एक सप्ताह के लिए सेंटर में चिकित्सक की देखरेख में रखने के निर्देश दिए।
इनका कहना है…
मामले की जांच चल रही है। इसके लि टीम को मौका स्थल पर भेजा गया है। वैसे मैं सरकारी कार्य से जालोर जा रहा हूं।
-गिरधरसिंह, थानाप्रभारी, करड़ा
इस मामले में पुलिस कार्रवाई कर रही है। विभाग की ओर से जांच की कोई जरूरत नहीं है और ना ही हमने इसके लिए कोई टीम बनाई है। वैसे स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों को इसके बारे में जानकारी नहीं है।
-डॉ. वीडी जोशी, ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी, सांचौर

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