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खत्म हो सकती है डेढ़ सौ साल पुरानी ‘दरबार मूव’ की प्रक्रिया

Darbar Move: जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद राज्य में सर्दियों और गर्मियों की राजधानी को भारी भरकम खर्च कर जम्मू और श्रीनगर स्थानांतरित करने की परंपरा

जम्मूAug 22, 2019 / 06:14 pm

Nitin Bhal

खत्म हो सकती है डेढ़ सौ साल पुरानी दरबार मूव की प्रक्रिया

खत्म हो सकती है डेढ़ सौ साल पुरानी दरबार मूव की प्रक्रिया

जम्मू (योगेश). जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद राज्य में सर्दियों और गर्मियों की राजधानी को भारी भरकम खर्च कर जम्मू और श्रीनगर स्थानांतरित करने की परंपरा भी समाप्त हो सकती है। दरबार मूव यानी राजधानी को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया पर सालाना छह सौ करोड़ रुपए खर्च होते हैं। दरबार मूव की प्रक्रिया रोक कर खर्च कम करना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जम्मू केंद्रित कई दलों की पुरानी मांग रही है। अब अनुच्छेद 370 के निष्प्रभावी होने के बाद विधानसभा का कार्यकाल छह से पांच साल करने के साथ छह-छह महीने बाद दरबार मूव की प्रक्रिया में भी बदलाव तय है। ये दोनों व्यवस्थाएं राज्य में दशकों से प्रभावी हैं और कश्मीर केंद्रित पार्टियों को भा रही हैं। अब 31 अक्टूबर के बाद केंद्र शासित प्रदेश बनने से यहां पर 23 व्यवस्थाएं बदलेंगी। इनमें ये दोनों व्यवस्थाएं भी हो सकती हैं। प्रदेश भाजपा की पूरी कोशिश है कि जम्मू में ये पुरानी मांगे पूरी हों। दोनों क्षेत्रों के अधिकारी और कर्मचारी जम्मू व श्रीनगर में स्थायी रूप से रहें और सरकार के साथ सिर्फ मुख्य सचिव व प्रशासनिक सचिव जाएं। इससे दरबार को लाने और ले जाने के साथ मूव की सुरक्षा व कर्मियों को ठहराने पर खर्च होने वाले अरबों रुपए बचेंगे। दरबार मूव ने जम्मू कश्मीर में वीआइपी वाद को बढ़ावा दिया है। इससे हजारों कर्मचारियों को जम्मू व श्रीनगर में ठहराने के लिए होटलों में सैकड़ों कमरे व अधिकारियों के लिए आवास किराए पर लिए जाते हैं। दरबार मूव को बंद करने का मुद्दा पिछले दिनों भाजपा के बुद्धिजीवी सम्मेलन में उठा था। सेवानिवृत्त एसएसपी भूपेन्द्र सिंह ने प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह की मौजूदगी में यह मुद्दा उठाते हुए कहा था कि जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद दरबार मूव की प्रक्रिया को रोक दिया जाए। कश्मीर की फाइलें कश्मीर व जम्मू की फाइलों को स्थायी तौर पर जम्मू में रखा जाए। सचिवालय का कामकाज इ-फाइलों के जरिए निपटाया जाए।

147साल पुरानी है परंपरा

खत्म हो सकती है डेढ़ सौ साल पुरानी दरबार मूव की प्रक्रिया

राज्य में 147 साल पुरानी दरबार मूव की परंपरा के तहत शीतकालीन राजधानी जम्मू में गर्मियों में सचिवालय बंद होता था। दरबार मूव परंपरा के तहत राज्य की राजधानी छह महीने जम्मू और छह महीने श्रीनगर रहती थी। जम्मू कश्मीर देश का एक अकेला ऐसा राज्य है जिसका सचिवालय छह महीने श्रीनगर और छह महीने जम्मू से काम करता था। इसके साथ ही हाईकोर्ट सहित अन्य विभाग शीतकाल में जम्मू शिफ्ट किए जाते थे। अप्रेल माह के आखिरी सप्ताह में इसे फिर से श्रीनगर शिफ्ट कर दिया जाता था। 1872 में डोगरा शासनकाल में राज्य की प्राकृतिक एवं भौगोलिक परिस्थितियों के चलते इसे शुरू किया गया था। दरबार मूव की परंपरा पर हर साल करीब 300 करोड़ रुपए खर्च किए जाते थे। डोगरा महाराजा रनवीर सिंह ने दरबार मूव की परंपरा की शुरुआत की थी। उस समय ये काम बैलगाड़ी और घोड़ागाड़ी से होता था। उस समय दोनों जगह महाराजा का दरबार शिफ्ट होने के बाद एक बड़ा समारोह आयोजित किया जाता था।

भाईचारा कायम करना था मकसद

खत्म हो सकती है डेढ़ सौ साल पुरानी दरबार मूव की प्रक्रिया

अच्छे शासन के लिए महाराजा रणवीर सिंह ने वर्ष 1872 में राज्य की राजधानी स्थानांतरित करने की परंपरा दरबार मूव कुछ परिवर्तन कर फिर शुरू की। इसे ही सही मायने में दरबार मूव माना जा सकता है। इसके पीछे उनका मकसद जम्मू और कश्मीर के लोगों के बीच आपसी भाईचारा व सौहार्द कायम करना था। यह बीते समय की बात है क्योंकि अब ई-गर्वनेंस का जमाना है। हर रिकार्ड एक क्लिक पर सामने आ जाता है। सूचना एवं प्रौद्योगिकी के इस युग में राजधानियों को स्थानांतरित करने की परंपरा बेतुकी लगती है।

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