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पिता के बनाए कानून के तहत ही कैद हुए फारूक अब्दुल्ला

Jammu Kashmir: नेशनल कांफ्रेंस (national conference) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ( Farooq Abdullah ) को राज्य प्रशासन ने जन सुरक्षा अधिनियम ( PSA ) के तहत बंदी बना लिया है। पीएसए…

जम्मूSep 16, 2019 / 07:38 pm

Nitin Bhal

पिता के बनाए कानून के तहत ही कैद हुए फारूक अब्दुल्ला

पिता के बनाए कानून के तहत ही कैद हुए फारूक अब्दुल्ला

जम्मू (योगेश) . नेशनल कांफ्रेंस (national conference) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ( Farooq Abdullah ) को राज्य प्रशासन ने जन सुरक्षा अधिनियम ( PSA ) के तहत बंदी बना लिया है। पीएसए के तहत बंदी बनाए जाने वाले वह राज्य पहले पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद हैं। इसके अलावा उन्हें जहां रखा गया है, उसे अस्थायी जेल का दर्जा दिया गया है। अब्दुल्ला अपने ही मकान में बंद हैं। यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि पीएसए को राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री और फ़ारूक के पिता शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ( Sheikh Abdullah ) ने वर्ष 1978 में यह कानून लागू किया था। उस समय उन्होंने यह कानून जंगलों के अवैध कटान में लिप्त तत्वों को रोकने के लिए बनाया था। बाद में इसका इस्तेमाल असामाजिक तत्वों, आतंकियों, कानून व्यवस्था के लिए संकट बनने वाले तत्वों और कई बार सत्ताधारी दल द्वारा अपने विरोधियों पर भी कथित तौर पर किया गया।

चार अगस्त से हैं नजरबंद

 

पिता के बनाए कानून के तहत ही कैद हुए फारूक अब्दुल्ला

श्रीनगर के सांसद और जम्मू कश्मीर में तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला को पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन विधेयक को लागू करने से पूर्व चार अगस्त की मध्यरात्रि उनके घर में प्रशासन ने एहतियात के तौर पर नजरबंद किया था। उनके पुत्र पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को भी उसी रात एहतियातन हिरासत में लिया गया था। वह हरि निवास में हिरासत में हैं। डॉ. फारूक अब्दुल्ला को राज्य सरकार ने रविवार रात ही पीएसए के तहत बंदी बनाया है। इस कानून के मुताबिक, संबधित व्यक्ति को बिना किसी सुनवाई दो साल तक हिरासत में रखा गया है। सोमवार सुबह सर्वाेच्च न्यायालय में एमडीएमके नेता वायको द्वारा अब्दुल्ला की रिहाई के लिए दायर हैबेस कार्पस याचिका पर सुनवाई से पूर्व ही नेका अध्यक्ष को पीएसए के तहत बंदी बनाए जाने की पुष्टि हुई है। संबधित सूत्रों ने बताया कि सर्वाेच्च न्यायालय में फारूक अब्दुल्ला को हिरासत में रखने को न्यायोचित्त ठहराने के लिए ही यह कदम उठाया गया है।

यह है कानून

पिता के बनाए कानून के तहत ही कैद हुए फारूक अब्दुल्ला

अलगाववादियों को भी अक्सर इसी कानून के तहत बंदी बनाया जाता रहा है। इस कानून के मुताबिक, दो साल तक किसी तरह की सुनवाई नहीं हो सकती थी,लेकिन वर्ष 2010 में इसमें कुछ बदलाव किए गए। पहली बार के उल्लंघनकर्ताओं के लिए पीएसए के तहत हिरासत अथवा कैद की अवधि छह माह रखी गई और अगर उक्त व्यक्ति के व्यवहार में किसी तरह का सुधार नहीं होता है तो यह दो साल तक बढ़ाई जा सकती है। जम्मू-कश्मीर जन सुरक्षा अधिनियम को 8 अप्रेल, 1978 को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल से मंज़ूरी प्राप्त हुई थी। इस अधिनियम को शेख अब्दुल्ला की सरकार ने इमारती लकड़ी की तस्करी को रोकने और तस्करों को प्रचलन से बाहर रखने के लिए एक सख्त कानून के रूप में प्रस्तुत किया था। यह कानून सरकार को 16 वर्ष से अधिक उम्र के किसी भी व्यक्ति को मुकदमा चलाए बिना दो साल की अवधि हेतु बंदी बनाने की अनुमति देता है। यही नहीं यदि राज्य सरकार को यह आभास हो कि किसी व्यक्ति के कृत्य से राज्य की सुरक्षा को खतरा है, तो उसे 2 वर्षों तक प्रशासनिक हिरासत में रखा जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति के कृत्य से सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखने में कोई बाधा उत्पन्न होती है तो उसे एक वर्ष की प्रशासनिक हिरासत में लिया जा सकता है। पीएसए के तहत हिरासत के आदेश डिवीजनल कमिश्नर या डिप्टी कमिश्नर द्वारा जारी किए जा सकते हैं। अधिनियम की धारा-22 लोगों के हित में की गई कार्रवाई के लिए सुरक्षा प्रदान करती है। इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार हिरासत में लिए गए किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई मुकदमा, अभियोजन या कोई अन्य कानूनी कार्यवाही नहीं की जा सकती।

शाह ने कहा था-फारूक न नजरबंद न हिरासत में

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हालांकि डॉ. फारूक अब्दुल्ला चार अगस्त की मध्यरात्रि से ही अपने घर में नजरबंद हैं, लेकिन गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में कहा था कि उन्हें न नजरबंद रखा गया है और न उन्हें हिरासत में लिया गया है। वह कहीं भी आने जाने को स्वतंत्रत हैं। अलबत्ता, केंद्रीय गृहमंत्री के बयान के बाद ही अब्दुल्ला ने अपने घर की बाहरी दीवार पर खड़े हो पत्रकारों से बातचीत करते हुए गृहमंत्री पर झूठ बोलने का आरोप लगाया था।

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