सरकार का तानाशाही रवैया
अब्दुल्ला ने कहा कि तानाशाही शासन लाया गया है लोकतांत्रिक नहीं। श्रीनगर में टीवी चैनलों से बात करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि मीडिया से बात करने के लिए वह दरवाजा तोडक़र बाहर निकले हैं। मैंने भारत के गृह मंत्री का बयान सुना कि फारूक अब्दुल्ला स्वतंत्र हैं और अपनी इच्छा से घर में हैं। मैं सोचता हूं कि वह झूठ कैसे बोल सकते हैं जब मेरे घर के बाहर एक डीएसपी को तैनात किया गया है और कोई न तो अंदर आ सकता है, न ही कोई बाहर जा सकता है।
भावुक फारूख रो पड़े
सरकार के निर्णय के बारे में एक चैनल से बात करते हुए फारूख रो पड़े और कहा कि उन्होंने क्षेत्रों को बांट दिया, क्या वे दिलों को भी बांट देंगे? क्या वे हिंदुओं और मुस्लिमों को भी बांट देंगे? मेरा मानना है कि मेरा भारत सबके लिए था, हर उसके लिए जो धर्मनिरपेक्षता, एकता में विश्वास करता है। उन्होंने कहा, 70 वर्षों तक हमने लड़ाई लड़ी और आज हमें अपराधी मानने लगे। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 और 35-ए की गारंटी दी थी। अब्दुल्ला ने कहा, अगर ऐसा (जम्मू-कश्मीर में जो हो रहा है) संविधान के मुताबिक हो रहा है तो गृह मंत्री ने क्यों इंतजार नहीं किया जबकि मामला सुप्रीम कोर्ट में है। फारूख ने कहा कि अनुच्छेद 370 राष्ट्रपति का आदेश नहीं है, बल्कि यह संविधान के तहत गारंटी है।
उमर और महबूबा गिरफ्तार
फारूख ने कहा कि मुझे नहीं पता कि कितने लोगों को गिरफ्तार किया गया है, हमें नजरबंद किया गया है। उन्हें इतना ही पता है कि उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को गिरफ्तार किया गया है। यह भी हमें मीडिया से पता चला। उन्होंने कहा, कोई लिखित आदेश नहीं है, लेकिन हमें नजरबंद कर दिया गया। उन्होंने कहा कि हम कानून पर विश्वास करते हैं, हम पत्थर फेंकने वाले या हत्यारे नहीं हैं। हमने कभी भी बंदूक का रास्ता नहीं चुना। हम हमेशा महात्मा गांधी के रास्ते पर चले, फिर ऐसा क्यों किया गया? ऐसा करने की क्या जरूरत थी।