एडवोकेट शम्स ख्वाजा ने हाईकोर्ट की जम्मू विंग में याचिका दायर कर जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून 2019 और उसके बाद जारी आदेशों को असंवैधानिक घोषित करते हुए इसे निरस्त करने की मांग की है। याचिका में जम्मू को अलग राज्य का दर्जा देने की वकालत करते हुए कहा गया कि इस पुनर्गठन में जम्मू की सबसे अधिक अनदेखी हुई है। केंद्र सरकार ने जम्मू की दशकों पुरानी मांग की अनदेखी कर जम्मूवासियों को विशेष दर्जे के तहत मिले अधिकार छीनते हुए एकतरफा फैसला लिया। याचिका में कहा कि केंद्र सरकार ने आनन-फानन में जम्मू-कश्मीर को विभाजित करने का कानून लाया। जिस प्रक्रिया को अपनाकर बिल को पारित करवाया वह असंवैधानिक था।
संविधान का किया उल्लंघन
उन्होंने कहा कि अपनी बहस के दौरान वह हाईकोर्ट को बताना चाहेंगे कि किस तरह केंद्र सरकार ने भारतीय संविधान की धारा 2 व 3 का उल्लंघन करते हुए यह कानून लाया। वह बताएंगे कि किस तरह केंद्र सरकार ने संविधान के मूल ढांचे की अनदेखी कर संघीय संरचना को तहस-नहस किया। ख्वाजा ने कहा कि ऐसा कानून बनाना केंद्र सरकार के क्षेत्रधिकार में ही नहीं था।
जम्मू के साथ हुई नाइंसाफी
एडवोकेट ख्वाजा के अनुसार इस पूरे घटनाक्रम में जम्मू के साथ नाइंसाफी हुई है। केंद्र सरकार ने यह कानून बनाते समय जम्मू क्षेत्र की दशकों पुरानी मांग को अनदेखा किया और उन्हें संविधान के तहत अपनी बात रखने के अधिकार से भी वंचित रखा। जम्मू को अलग राज्य का दर्जा न देकर केंद्र सरकार ने न केवल उन्हें धोखा दिया, बल्कि पुनर्गठन कानून लाकर उन्हें अनुच्छेद 370 व 35 ए के तहत मिले विशेष अधिकारों से भी वंचित कर दिया।