scriptगोलियों की आवाज सुन लगा आतंकी हमला है… फिर जान में आई जान | Jammu and Kashmir: hope terrorist attack but was mock drill | Patrika News
जम्मू

गोलियों की आवाज सुन लगा आतंकी हमला है… फिर जान में आई जान

Jammu-Kashmir: अचानक पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के (Police and CRPF) जवान हथियारों से लैस होकर गांव में घुसकर तलाशी लेने लगे (Entered the village and started searching)। कुछ ही देर में गोलीबारी की आवाजें (Sound of firing) आने लगीं। लोगों ने सोचा आतंकी हमला हो गया (Became terrorist attack) है। बाद में यह जानकर जान में जान आई कि आतंकियों से निपटने के लिए पुलिस की मॉक ड्रिल चल (mock drill) रही है।

जम्मूOct 07, 2019 / 12:03 am

arun Kumar

गोलियों की आवाज सुन लगा आतंकी हमला है... फिर जान में आई जान

गोलियों की आवाज सुन लगा आतंकी हमला है… फिर जान में आई जान

योगेश. जम्मू: जम्मू के रियासी में स्थानीय लोगों का उस समय होश उड़ गया जब कस्बे में अचानक पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान हथियारों से लैस होकर गांव में घुसकर तलाशी लेन लगे। कुछ ही देर में गोलीबारी की आवाजें आने लगीं। लोगों ने सोचा आतंकी हमला हो गया है। बाद में यह जानकर जान में जान आई कि आतंकियों से निपटने के लिए पुलिस की मॉक ड्रिल चल रही है। दरअसल, पुलिस की बख्तरबंद गाडिय़ों पर पुलिस जवान तैनात थे। आने-जाने वालों को चौक पर ही रोका जा रहा था। पुलिस जवानों ने पुलिस चौकी के पास लोगों को घरों के अंदर ही बंद रहने को कह दिया। पुलिस अधिकारी भी पुलिस चौकी के आसपास खड़े दिखे। फायरिंग की आवाज आ रही थी। कस्बे के लोगों को लगा कि आतंकी हमला हो गया है।

सुरक्षाबलों की तैयारियों का परीक्षण

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जानकरी के मुताबिक सुरक्षाबल आतंकी हमले को लेकर अपनी तैयारियों का परीक्षण कर रहे थे। एक मॉक आतंकी हमले की स्थिति निर्मित की गई थी जहां आतंकवादी एक आवासीय घर में घुस गए और नागरिक परिवार को बंधक बना लिया। सिचुएशन बनाई गई जहां आतंकवादियों ने नागकरीको को बंधक बना लिया। संयुक्त टीम ने घर में घुसकर सभी को बचाया और आतंकवादियों को मर डाला। बम निरोधक दस्ते की एक टीम को भी घर के आसपास के क्षेत्र में नकली आतंकवादियों द्वारा लगाए गए बम को डिफ्यूज करते देखा गया। इसके अलावा, अग्निशमन सेवा कर्मियों के एक दल ने बचाव अभियान में अपने कौशल का प्रदर्शन किया। ड्रोन का उपयोग जगह की पूरी तरह से जांच करने के लिए भी किया गया था।
जीवन और संपत्ति की सुरक्षा पर रहा जोर

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मॉक ड्रिल किसी भी घटना के मामले में संयुक्त बलों की तैनाती, नागरिकों के बचाव, आम लोगों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा से संबंधित विशिष्ट योजना पर आधारित थी। प्रवक्ता ने कहा, मॉक ड्रिल का आयोजन कम से कम समय के भीतर ज़मीन पर सेना की तैयारियों की तैनाती को रोकने के लिए किया गया था। उन्होंने कहा, सीआरपीएफ की 126 वीं बटालियन के पुरुषों के साथ 60 से 80 जे एंड के के पुलिसकर्मियों को ड्रिल के दौरान विभिन्न घटकों के एक भाग के रूप में तैनात किया गया था। ड्रिल एक क्षमता निर्माण उपाय के रूप में आयोजित किया गया था। पूरी कवायद रश्मि वज़ीर एसएसपी रियासी की देखरेख में की गई जिसमें शिव कुमार सिंह एडिशनल एसपी रियासी और ए एस चौहान, सीआरपीएफ की 126 वीं बटालियन के 2 आई/सी भी नेतृत्व कर रहे थे।में मिली लापता महिला

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