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जम्मू

तकदीर का हुआ फैसला, पर अनजान हैं कश्मीरी

Jammu Kashmir: कश्मीर घाटी में कफ्र्यू और संचार से सभी तंत्रों के ब्लैकआउट के बीच जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली धारा 370 को रद्द करने पर फैसला हो चुका है।। सारे देश में इसी विषय पर बातचीत हो रही है

जम्मूAug 05, 2019 / 07:36 pm

Nitin Bhal

Most of Kashmiri unknown about there fate

तकदीर का हुआ फैसला, पर अनजान हैं कश्मीरी

जम्मू (योगेश). कश्मीर घाटी में कफ्र्यू और संचार से सभी तंत्रों के ब्लैकआउट के बीच जम्मू-कश्मीर ( jammu kashmir ) को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली धारा 370 ( Article 370) को रद्द करने पर फैसला हो चुका है। सारे देश में इसी विषय पर बातचीत हो रही है और लोग प्रतिक्रिया दे रहे हैं परन्तु दिलचस्प बात यह है कि अधिकांश कश्मीरी अभी भी अपने भाग्य के फैसले से अनजान हैं। सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( Narendra Modi ) ने अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ मुलाकात की, लेकिन कश्मीर की योजना के बारे में कोई स्पष्टता नहीं थी, जब तक कि गृह मंत्री अमित शाह ( Amit Shah ) ने राज्य सभा में एक विधेयक पेश नहीं किया, जो संविधान के अनुच्छेद 370 को भंग करने और राज्य को भंग करने की मांग कर रहा था। दो केंद्र शासित प्रदेश – जम्मू और कश्मीर एक विधानसभा और बिना विधानसभा का लद्दाख। वही कश्मीर में संचार से सभी मध्यम बंद होने के कारण जिसमे लैंडलाइन, इंटरनेट, मोबाइल फ़ोन और सैटेलाइट टेलीविजन ठप होने के कारण अधिकांश कश्मीरी अभी भी अपने भाग्य के फैसले से अनजान हैं।

संचार माध्यमों पर पाबंदी

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रविवार की रात, कश्मीर में बड़े पैमाने पर सुरक्षाबलों ने बंद था। प्रशासन ने लोगों के आवागमन को प्रतिबंधित करने के आदेश पारित किए। जबकि टेलीफोन लाइन, इंटरनेट और केबल टीवी भी बंद थे। दो पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती और सज्जाद लोन सहित कश्मीर के मुख्यधारा के राजनेताओं को आधी रात को नजरबंद कर दिया गया था।

10 दिन से जारी है तनाव

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कश्मीर पिछले 10 दिनों से तनाव की चपेट में है। केंद्र सरकार ने राज्य में हजारों अर्धसैनिक बलों को तैनात किया है। इसके बाद, जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने पिछले हफ्ते अमरनाथ यात्रा को रद्द करते हुए अभूतपूर्व आदेश जारी किए। इस आदेश ने स्पष्ट रूप से पर्यटकों को कश्मीर छोडऩे के लिए कहा था। तीर्थयात्रा के अचानक बंद होने से काफी अटकलों को बल मिला। इस आदेश ने कश्मीरियों में भी दहशत पैदा कर दी, जिसने यह महसूस किया कि भारत सरकार एक बड़े कदम के लिए तैयार हो सकती है, जिसका मतलब राज्य द्वारा प्राप्त विशेष दर्जे के खत्म करना भी हो सकता है।

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