अधिकारियों ने कहा कि लाल चौक और आस-पास के इलाकों के वाणिज्यिक केंद्रों को सभी प्रवेश बिंदुओं पर कंसर्टिना के तार लगाकर पूरी तरह से सील कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि घाटी में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए एहतियात के तौर पर कश्मीर के कई हिस्सों में प्रतिबंध है। अधिकारियों ने प्रतिबंधों के पुन: उपयोग के लिए किसी भी कारण का हवाला नहीं दिया, लेकिन माना जाता है कि शहर और अन्य जगहों पर मुहर्रम के जुलूसों को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया था।
5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के निष्प्रभावी होने के बाद से प्रतिबंध लगाया गया है। कई बार माहौल शांत होने के बाद प्रशासन ने इसे में ढील भी दी है। अधिकारी हर शुक्रवार को घाटी के संवेदनशील क्षेत्रों में प्रतिबंध लगाते रहे हैं।
परंपरा दोहराएगी सरकार
सरकार के एक शीर्ष अधिकारी के अनुसार, मोहर्रम को लेकर प्रशासन पिछले वर्षों की परंपरा का पालन करेगा। किसी भी तरह के जुलूस की अनुमति नहीं दी जाएगी। अधिकारी ने कहा कि शिया समुदाय के लोगों से 10 दिन की इस अवधि के दौरान सभी धार्मिक कार्यक्रम स्थानीय इमामबाड़ों में करने के लिए कहा गया है। मालूम हो कि एक सितंबर से शुरू हुए महर्रम माह को लेकर शिया समुदाय इन 10 दिनों के दौरान शोक मनाता है।
1990 के बाद से हर साल जुलूस पर पाबंदी
कश्मीर में 1990 में जबसे आतंकवाद का दौर शुरू हुआ है तबसे मुहर्रम के जुलूसों को निकालने की अनुमति नहीं है। ‘प्रशासन ने एक संकेत के रूप में प्रशासन ने पूर्व मंत्री इमरान अंसारी सहित कुछ शिया नेताओं को सेंटर होटल के निरोध केंद्र से उनके घरों में स्थानांतरित कर दिया है।