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जमशेदपुर

‘मिलेगी परिंदों को मंजिल ये उनके पर बोलते हैं, रहते हैं कुछ लोग खामोश लेकिन उनके हुनर बोलते हैं’

‘मिलेगी परिंदों को मंजिल ये उनके पर बोलते हैं,
रहते हैं कुछ लोग खामोश लेकिन उनके हुनर बोलते हैं,
(Jharkhand News ) अपनी मेहनत और जज्बे के बूते (Labour and will of Women ) ही इन महिलाओं ने किस्मत के भरोसे बैठने के बजाए अपनी किस्मत बदलने (Women changed their fate ) की ठान ली। जमशेदपुर से सटे हितकू पंचायत के खुखराडीह की महिलाएं आज (Women defeat men in agriculture ) खेती में पुरूषों को मात दे रही हैं।

जमशेदपुरJul 15, 2020 / 10:55 pm

Yogendra Yogi

'मिलेगी परिंदों को मंजिल ये उनके पर बोलते हैं, रहते हैं कुछ लोग खामोश लेकिन उनके हुनर बोलते हैं'

‘मिलेगी परिंदों को मंजिल ये उनके पर बोलते हैं, रहते हैं कुछ लोग खामोश लेकिन उनके हुनर बोलते हैं’


जमशेदपुर(झारखंड): ‘मिलेगी परिंदों को मंजिल ये उनके पर बोलते हैं,

रहते हैं कुछ लोग खामोश लेकिन उनके हुनर बोलते हैं,

(Jharkhand News ) अपनी मेहनत और जज्बे के बूते (Labour and will of Women ) ही इन महिलाओं ने किस्मत के भरोसे बैठने के बजाए अपनी किस्मत बदलने (Women changed their fate ) की ठान ली। जमशेदपुर से सटे हितकू पंचायत के खुखराडीह की महिलाएं आज (Women defeat men in agriculture ) खेती में पुरूषों को मात दे रही हैं। गांव की 12 महिलाओं की समिति ने एक ही साल में 50 डिसमिल जमीन पर 13 टन तरबूज उगाकर मिसाल कायम की है। कभी एक-एक रुपये के लिए मोहताज समिति की महिलाओं ने खुद मेहनत कर एक साल में ही सवा लाख रुपये की कमाई की।

मेहनत से मिली सफलता
गांव की महिला डॉली मुर्मू कहती हैं कि मेरे पिता धनंजय मुर्मू गैराज में काम करते हैं, घर बहुत ही मुश्किल से चलता था। मैं किसी तरह इंटर तक पढ़ाई की। मेरे पास 50 डिसमिल जमीन थी जो कि बंजर पड़ी हुई थी। एक दिन टाटा पावर एसएचजी ग्रुप एडेंट की दीदी शकुंतला आईं। उन्होंने कहा कि तुम्हारे 50 डिसमिल जमीन है, उस पर खेती करो हम सहयोग करेंगे। शुकुंतला दीदी के कहने पर मैनेे हां बोला और इसके बाद गांव की 12 महिलाओं का एक समूह बनाकर खेती किया। जिसमें करीब 8 हजार रुपये खर्च कर खेती की और सफल हुई।

पवन ऊर्जा की तरह ऊर्जावान
सभी महिलाओं ने मिलकर एक समूह बनाया, जिसका नाम पवन उर्जा समूह रखा। समूह में 12 महिलाएं प्रत्येक सप्ताह 20 रुपये जमा करने लगीं। इसके बाद उन्होंने तरबुज के 7000 पौधे लगाए। इन पौधों की सावधानी से देखरेख की। समूह की महिलाएं प्रतिदिन अपने फसल की देखभाल करती। इसका परिणाम रहा कि निगरानी से पौधों को खाद-पानी की जरुरत पूरी होती रही। पौधे जब बड़े हो गए तो 13 टन तरबूज की उपज हुई। 10 रुपये प्रति किलो के हिसाब से उन्होंने करीब सवा लाख रुपये की तरबूज बिक्री की। उक्त रुपये को बैंक खाते में जमा कर दिए हैं।

पुरुषों पर निर्भरता खत्म
इस पवन ऊर्जा समूह की अध्यक्ष सोनामुनी मुर्मू, सचिव डॉली मुर्मू, कोषाध्यक्ष सोमा मुर्मू, सदस्य के रुप में सिंधू मार्डी, नियोति भूमिज, अंगूरी सरदार, ममता सिंह, सुनीला हांसदा, गौरी महापात्रा, मालती मार्डी व सविता गोप शामिल है। डॉली ने बताया कि अब उनकी महिला समूह ने ठान लिया है कि पुरूषों पर ही खेती निर्भर नहीं करती बल्कि यदि महिलाएं जो काम ठान ले उसे पूरा करना है। यही कारण है कि खेत से तरबूज खत्म होते ही खीरा लगाए हैं।

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