यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में यहां है बेशकीमती हीरे की खदान, तस्करी के लिए देशभर के तस्करों में लगी होड़
गौरतलब है कि बेलादुला के ग्रामीण लॉकडाउन (Lockdown) के ठीक एक माह पहले ही ईंट-भट्ठे में काम करने गए हैं। पैसे के लेनदेन सहित अन्य मुद्दों को लेकर ठेकेदार से मनमुटाव हो गया। इससे श्रमिकों को मजदूरी भी नहीं दी जा रही है, उल्टे प्रताड़ित किया जा रहा है। इससे परेशान श्रमिकों ने छत्तीसगढ़ सरकार से सहायता की गुहार लगाई है।
भूखे रहने की नौबत
श्रमिकों का कहना है कि उन्हें जमादार ने फंसाया है, क्योंकि जमादार बीच का मीडिएटर होता है। इसी से पैसे के हिसाब-किताब की डील की जाती है। जमादार ने श्रमिकों को मिलने वाले सारे पैसे ले लिए, लेकिन श्रमिकों को पैसा नहीं दिया। श्रमिकों के बाल-बच्चे भूखे मरने की स्थिति में हैं। श्रमिकों ने अपने परिजनों को कई तरह के वीडियो भी भेजे हैं, जिसमें प्रताड़ना व मारपीट की बात सामने आ रही है। इधर, कलेक्टर पर भी दबाव है कि किसी तरह श्रमिकों को छुड़ाकर लाएं। बताया जा रहा है कि श्रम विभाग की टीम बहुत जल्द श्रमिकों को लाने के लिए जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर के लिए रवाना होगी।
यह भी पढ़ें: झकझोर देने वाली वारदात: चंद पैसों के लालच में दो नाबालिगों का किया कत्ल फिर किया ये काम
इधर, ढाई लाख किराए की बस में प्रवासी मजदूर यूपी से बिलासपुर लौटे
यूपी से ढाई लाख रुपए में किराए की बस करके 300 श्रमिक बिलासपुर लौटे हैं। बिल्हा ब्लॉक के ग्राम कड़ार में उतरे ये मजदूर ईंट भट्ठा में काम करने वहां गए थे। बिल्हा विकासखंड के ग्राम कड़ार के प्रायमरी स्कूल के पास बस से मजदूरों को उतारा गया। वापस लौटे एक श्रमिक ने बताया ज्यादातर मजदूर समीपस्थ ग्राम सेंवार के हैं। सभी लखनऊ से किराए की बस से आए हैं। बिल्हा जनपद सीईओ आरबी वर्मा का कहना है कि इसकी जानकारी नहीं है। यह श्रम विभाग को देखना चाहिए। ग्राम पंचायत के सरपंच ने भी कोई सूचना नहीं दी है।