scriptSuccess Story: गजब टीचर की अजब कहानी, आंखें नहीं फिर भी फैला रहे शिक्षा का उजियारा | Amazing Must read success story of blind teacher | Patrika News
जांजगीर चंपा

Success Story: गजब टीचर की अजब कहानी, आंखें नहीं फिर भी फैला रहे शिक्षा का उजियारा

Success Story: कहते हैं भगवान ने आंखों को रोशनी न दी तो क्या, ज्ञान का प्रकाश ही काफी है, जीवन में उजाले के लिए। कुछ इसी तरह दृष्टिहीन होने के बावजूद बच्चों के बीच शिक्षा का दीप जला कर समाज के लिए एक मिसाल पेश कर रहे हैं भिलौनी के सहायक शिक्षक कमलेश साहू और सक्ती के राजेन्द्र बेहरा।

जांजगीर चंपाJan 23, 2022 / 09:01 pm

Ashish Gupta

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Success Story: गजब टीचर की अजब कहानी, आंखें नहीं फिर भी फैला रहे शिक्षा का उजियारा

जांजगीर-चांपा. Success Story: कहते हैं भगवान ने आंखों को रोशनी न दी तो क्या, ज्ञान का प्रकाश ही काफी है, जीवन में उजाले के लिए। कुछ इसी तरह दृष्टिहीन होने के बावजूद बच्चों के बीच शिक्षा का दीप जला कर समाज के लिए एक मिसाल पेश कर रहे हैं भिलौनी के सहायक शिक्षक कमलेश साहू और सक्ती के राजेन्द्र बेहरा। कमलेश जहां पामगढ़ के प्रायमरी स्कूल में सहायक शिक्षक हैं तो वहीं राजेन्द्र बेहरा शासकीय हाईस्कूल परसदाखुर्द सक्ती में व्याख्याता हैं। इन्होंने न सिर्फ दिव्यांगता को मात दी है बल्कि खुद को भी इस काबिल बनाया कि वे किसी विशेष स्कूल नहीं बल्कि जिले के सरकारी स्कूलों में शिक्षक के रूप में पदस्थ हैं।

ब्रेल की किताबें, ताकि पढ़ा सकें
सामान्य स्कूल के बच्चों को पढ़ाने के लिए इन्हें बोर्ड द्वारा ब्रेललिपि में मुद्रित कोर्स की पुस्तकें उपलब्ध कराई गई हैं। इन्हीं किताबों से ये दोनों शिक्षक बच्चों को पढ़ाते हैं। बिना ब्लैक बोर्ड का उपयोग किए छात्रों को सब कुछ समझा देते हैं। साथ ही प्रोजेक्टर का भी सहारा लेते हैं।

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शिक्षा के अलावा मुफ्त में संगीत की भी शिक्षा
शासकीय हाईस्कूल परसदाखुर्द में पदस्थ शिक्षक राजेन्द्र बेहरा बच्चों को मुफ्त में संगीत की भी शिक्षा देते हैं। हाल में ही युवा महोत्सव में उनके क्लास की बच्चों ने संभाग स्तर पर पहला स्थान बनाया था। पिछले साल ही उनको नि:शक्तजन विशिष्ट कर्मचारी का पुरस्कार भी मिल चुका है। बेहरा हार्मोनियम वादन में अभ्यस्त हैं।

कम्प्यूटर में भी दौड़ती है अंगुलियां
सौ प्रतिशत ब्लाइंड कमलेश साहू की अंगुलियां कम्प्यूटर के की-बोर्ड में इस तरह दौड़ती है कि सामने वाला देखकर हैरत में पड़ जाए। कम्प्यूटर में उन्होंने खास तरह का वाइस कमांड वाला सॉफ्टवेयर डाला है, जिसके सहारे वे आसानी से की-बोर्ड में सही-सही टाइप कर लेते हैं। इतना ही नहीं वे फोटोकॉपी मशीन भी चला लेते हैं।

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संघर्ष से पहुंचे हैं इस मुकाम तक
शिक्षक कमलेश साहू ने अंग्रेजी साहित्य में एमए किया है। वे बच्चों को भी अंग्रेजी पढ़ाते हैं। बिलासपुर के शासकीय दृष्टिबाधित विद्यालय में प्रारंभिक पढ़ाई पूरी करने के बाद कॉलेज की पढ़ाई जबलपुर विवि से पूरी की। इस दौरान तीन सालों तक कम्प्यूटर भी सीखा। फिर 2005 में सहायक शिक्षक बने। इसी तरह राजेन्द्र बेहरा में राजनीति में एमए हैं। प्रारंभिक शिक्षा उनकी भी बिलासपुर में हुई है और आगे की पढ़ाई जबलपुर में। 1998 में सहायक शिक्षक के रूप में बरपाली में पोस्टिंग हुई। वर्तमान में छह सालों से परसदाखुर्द में व्याख्याता के रूप में पदस्थ हैं।

(आनंद नामदेव की रिपोर्ट)

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