ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा का बुरा हाल, ५८ उप स्वास्थ्य केंद्र में भवन न ही पर्याप्त स्टॉफ
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा का अब भी बुरा हाल है। सरकार ने गांव गांव में अस्पताल तो जरूर खोल दिए लेकिन इन अस्पतालों में न तो खुद का भवन है और न ही पर्याप्त स्टॉफ।
जिसके चलते ग्रामीणों को नीम हकीमों के पास इलाज कराने मजबूर होना पड़ता है। दुखद यह है कि २६९ ग्रामीण उप स्वास्थ्य केंद्रों में ५८ के पास खुद का भवन ही नहीं है। जिसके चलते ऐसे अस्पताल जुगाड़ के भवन में संचालित हो रहा है। कहीं पंचायत भवन में अस्पताल संचालित हो रहा है तो कहीं सामुदायिक भवन में। दिलचस्प यह है कि इन अस्पतालों में न तो पर्याप्त स्टॉफ है और न ही स्वास्थ्य की सुविधा। अलबत्ता मरीजों को या तो बड़े अस्पतालों में रेफर होना पड़ता है या फिर गांव के ही झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाना पड़ता है।
सरकार भले ही स्वास्थ्य, शिक्षा, कुपोषण को ठीक करने की लाख कोशिशें कर ले, लेकिन मैदानी इलाके में आज भी स्वास्थ्य सुविधा बेपटरी है। कहने को तो जिले में २६९ प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र खोल दिए गए हैं, लेकिन यहां केवल मरहम पट्टी की बस सुविधा है। न तो स्टॉफ नर्सेस गांव में रहतीं और न ही अस्पताल में माकूल व्यवस्था रहता। आने वाले दिनों में तब भयावह स्थिति निर्मित होगी जब लोग बारिश व उमस के बीच डायरिया की चपेट में आएंगे। क्योंकि बारिश के दिनों में ऐसे केसेस की भरमार हो जाती है। हालात यहां तक निर्मित हो जाता है कि दर्जनों मरीजों को जिला अस्पताल में भी बेड मिल पाना मुश्किल हो जाता है।
घोषणा के एक साल बाद भी सीएचसी का दर्जा नहीं
बीते वर्ष सीएम का टेंपल सिटी का दौरा हुआ था। उस वक्त जब सीएम राम पथ गमन के लोकार्पण समारोह में शिवरीनारायण आए थे। तभी उन्होंने घोषणा की थी कि शिवरीनारायण के अस्पताल को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा मिलेगा। यानी यहां ३० बिस्तर का अस्पताल की सुविधा मिलेगी। लेकिन उनकी घोषणा को आज एक साल बीत गए, लेकिन जिला प्रशासन के पास आज तक किसी तरह का पत्र नहीं आया। जिसके चलते शिवरीनारायण के लोग ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
राहौद केरा में भी वहीं हाल
बीते दिनों राहौद व केरा को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा मिला था। लेकिन यहां भी अब तक स्वास्थ्य सुविधा के क्षेत्र में संतोषप्रद सुविधाएं नहीं मिली है। जिसके चलते क्षेत्र के मरीजों को आसपास के बड़े व निजी अस्पतालों में कूच करना पड़ता है। यहां के अस्पताल को भले ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा दिया जा चुका है लेकिन सुविधा वही पुरानी है।
फैक्ट फाइल
उप स्वास्थ्य केंद्र २६९
शहरी उप स्वास्थ्य केंद्र ०४
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ४५
शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ०१
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ११
वर्जन
ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं में इजाफा के लिए सारे प्रयास किए जा रहे हैं। मैदानी अमले को अलर्ट किया गया है। कुछ अस्पतालों में खुद का भवन नहीं है। इसके लिए शासन से पत्राचार किया गया है।
– डॉ. आरके सिंह, सीएमएचओ
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