सूर्यकुंड को लेकर मान्यता है कि जो भी उसका पानी पीता है, उसकी हर बीमारी दूर हो जाती है। इस पहाड़ की ऊपरी चोटी पर पहुंचने एवं ऊपर से पहाड़ के चारों ओर का नजारा देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। विशेष रूप से महाशिवरात्रि एवं नाग पंचमी के दिन यहां पर मेला लगता है, प्रदेश भर से लोग आते हैं । मुनि का आश्रम और सूर्यकुंड विशेष प्रसिद्ध है।
दलहा पहाड़ को विकसित किया जाएगा। प्रस्ताव बनाकर हेडक्वार्टर भेजा गया था। 10 लाख रुपए की मंजूरी मिली है । जल्द ही निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। पहले सीढ़ी व जाली बनाने का प्लान था। लेकिन उसमें पहाड़ चढ़ाई करने के लिए पर्यटकों नेचुरल आनंद नहीं मिलता है। इसलिए रास्ता बनाकर नेचर ट्रेल लगाया जाएगा। -मनीष कश्यप, डीएफओ
वर्तमान में 750 मीटर उखड़-खाबड़ रास्ते से चलकर लोग इस पहाड़ पर चढ़ाई करते हैं । रास्ता नहीं होने से हमेशा खतरा बना रहता है। सीधी चढ़ाई व कठिन रास्ता होने के कारण यहां पर्यटकों के लिए दूरी बनी हुई है। वन विभाग यहां पहाड़ में नीचे से लेकर ऊपर तक रास्ता बनाएगा। इसके बाद नेचर ट्रेल लगाया जाएगा जो सीढ़ी के अनुरूप बनेगा , इसमें सीढ़ी की तरह नहीं बनाया जाएगा, बल्कि प्राकृतिक रूप से ही रखा जाएगा। पहाड़ के साथ लोगों की धार्मिक आस्था जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि दल्हागिरी अथवा सुन्दरगिरी के इस पहाड़ पर दलहा बाबा विराजमान हैं।
पहाड़ के साथ लोगों की धार्मिक आस्था जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि दल्हागिरी अथवा सुन्दरगिरी के इस पहाड़ पर दलहा बाबा विराजमान हैं। यहां आपको दलहा पहाड़ के नीचे एवं चारों ओर अनेक मंदिर भी देखने को मिलते हैं। इसमें अर्धनारीश्वर मंदिर, सिद्ध मुनि आश्रम, नाग-नागिन मंदिर, श्री कृष्ण मंदिर आदि काफी प्रसिद्ध हैं। चतुर्भुज मैदान भी यहां की खासियत है। यहां एक रहस्यमयी गुफा भी है। यह कहां खुलती है, इसका पता अभी तक कोई भी नहीं लगा सका है। पहाड़ पर कुंड हैं।