जानकारी के मुताबिक ग्राम पंचायत कोटमीसोनार में जनता ने सरपंच पद के लिए आदिवासी सीट से मयाराम गोड़ को चुना था। इसके बाद कुछ पंचो की शिकायत पर एसडीएम ने जांच कर मयाराम को सरपंच पद से हटा दिया, जबकि पिछले दो साल से वह मामला एसडीएम कोर्ट में ही लंबित पड़ा है। बताया जा रहा है कि कुछ पंच सरकारी जमीन में अवैध कब्जा करके उसकी खरीदी बिक्री कर रहे थे और कई जगह बेजाकब्जा कर घर भी बना लिया। सरपंच इसके खिलाफ था, जिसके चलते उन्होने उसके खिलाफ षडय़ंत्र करके शिकायत कर दी। एसडीएम ने भी दबाव में आकर बिना सुनवाई पूरी किए सरपंच को पद से हटा दिया और अब तक न तो सुनवाई पूरी की और न ही नए सरपंच के लिए चुनाव कराया। इसके चलते गांव का विकास पांच साल पीछे चला गया है। हालत यह अभी तक गांव में एक पंचायत भवन तक नही बन पाया है। बार-बार प्रभारी सरपंच बदलने से कोटमीसोनार जिले का पहला ग्राम पंचायत बन गया है, जहां कुछ महीनों में ही सरपंच का प्रभार बदल जा रहा है।
विधायक ने जताई हताशा
अकलतरा विधायक चुन्नीलाल साहू अकलतरा विधान सभा की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत की स्थिति को सुधारने में बेबस नजर आ रहे हैं। उन्होंने वहां स्थाई सरपंच नहीं होने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया, लेकिन इसके लिए लड़ाई नहीं लड़ी यदि ऐसा किया होता निश्चित तौर पर यहां स्थाई सरपंच होता। सबसे बड़ी बात तो उन्होंने यह जानते हुए भी विधायक निधि से राशि दे दी कि ग्राम पंचायत में उस राशि का सदुपयोग नहीं होगा। विधायक का कहना है कि ग्राम पंचायत में स्थाई सरपंच होना चाहिए।