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जांजगीर चंपा

बीते तीन साल की तुलना में 20 प्रतिशत धान की खरीदी कम, क्यों पड़ा असर पढि़ए खबर…

किसान अभी धान की मिजाई में व्यस्त हैं। धान की आवक ने अभी रफ्तार नहीं ली है। जनवरी माह में धान की भरपूर आवक होगी।

जांजगीर चंपाDec 07, 2017 / 04:50 pm

Vasudev Yadav

बीते तीन साल की तुलना में 20 प्रतिशत धान की खरीदी कम, क्यों पड़ा असर पढि़ए खबर...
जांजगीर-चांपा. जिले में भूरा माहो के कहर के चलते बीते तीन साल की तुलना में 20 प्रतिशत धान की खरीदी कम हो रही है। फसल को भूरा माहो ने इस कदर चट किया कि जिले भर में 20 प्रतिशत फसल प्रभावित हो रहा है। इसका जीता जागता उदाहरण धान खरीदी के ताजा आंकड़े से सामने आया है। पिछले तीन साल में 20 दिन में औषत 10 लाख क्ंिवटल धान की खरीदी हो चुकी थी।
वहीं इस वित्तीय वर्ष में मात्र 8 लाख क्ंिवटल धान की खरीदी हो पाई है। हालांकि सभी खरीदी केंद्रों में धान खरीदी की शुरूआत धीमी गति से हो रही है। इसके बाद भी आंकड़ा आगे बढऩे का नाम नहीं ले रहा है। दरअसल किसान अभी धान की मिजाई में व्यस्त हैं। धान की आवक ने अभी रफ्तार नहीं ली है। जनवरी माह में धान की भरपूर आवक होगी।
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जिले में पिछले तीन साल की तुलना में इस वर्ष 20 प्रतिशत कम धान की खरीदी हो रही है। इसका प्रमुख कारण भूरा माहो का कहर बताया जा रहा है। जिले में भूरा माहो ने इस कदर कहर बरपाया कि पूरा फसल चौपट हो गया है। सर्वाधिक फसल प्रभावित डभरा, मालखरौदा, जैजैपुर ब्लाक प्रभावित हुआ है। वहीं बलौदा अकलतरा क्षेत्र में पानी की किल्लत ने किसानों को अच्छा खासा प्रभावित किया। जिले के 206 खरीदी केंद्रों में 15 नवंबर से धान की खरीदी शुरू हो चुकी है। सभी केंद्रों में धान की आवक हो रही है, लेकिन चौकाने वाले आंकड़े तब आ रहे हैं जब जहां बंपर खरीदी हो रही थी उन केंद्रों में औषत बेहद कम धान खरीदी हो रही है। इसका प्रमुख कारण भूरा माहों का प्रकोप बताया जा रहा है।

किसानों का कहना है
डभरा क्षेत्र के सपिया गांव के किसान लक्ष्मी प्रसाद राठौर ने बताया कि उसने तीन एकड़ में धान की बोनी की थी। जिसमें दो एकड़ में धान की एक बालियां भी खलिहान तक नहीं पहुंचा। इसी तरह गौरव ग्राम अफरीद के किसान रामशरण राठौर ने बताया कि भूरा माहो के कारण उसका 20 प्रतिशत धान का उत्पादन प्रभावित हो रहा है। पहले जिस खेत में 30 बोरी धान हो रहा था उस खेत में इस साल २५ बोरी धान हो रहा है।

समितियों में बढ़ी परेशानी
सरकार समर्थन मूल्य में धान की खरीदी कर रही है लेकिन नए नियम ने किसानों को अच्छा उलझा दिया है। पहले मनमाफिक दिनों में चाहे जब भी हो धान की बिक्री करते थे, लेकिन अब पहले टोकन लेना पड़ेगा। जब उनकी तिथि तय होगी तभी समितियों में धान की बिक्री कर सकेंगे। इसी तरह कई समितियों में बारदाना नहीं होने की वजह से किसानों को धान बिक्री की तिथि मिल रही है। कई समितियों में पर्याप्त बारदाना नहीं मिलने के कारण धान की बिक्री प्रभावित हो रही है।

टॉप खरीदी केंद्र
जिले में पांच ऐसे स्थान हैं जहां सबसे अधिक धान की खरीदी हुई है। नैला जांजगीर से सटे ग्राम सिवनी में 15 दिनों में सबसे अधिक 13 हजार क्ंिवटल धान की खरीदी हो चुकी है। दूसरे क्रम में पामगढ़ क्षेत्र के लगरा समिति में अब तक 12 हजार क्ंिवटल धान की खरीदी हुई है। इसी तरह लोहर्सी में 10 हजार क्विंटल तो कचंदा जैजैपुर में 9 हजार और कोरबी समिति में अब तक साढ़े 8 हजार क्ंिवटल धान की खरीदी हो चुकी है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन क्षेत्रों में भूरा माहो का प्रकोप कम था। वहीं सबसे कम खरीदी में कुम्हारीकला, गतवा व अमोदा में धान की आवक बेहद कम बताया जा रहा है। यहां आंकड़ा अभी हजार क्ंिवटल भी नहीं पहुंच पाया है।

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