अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि वहां पर ही एक स्थान पर शेड और अहाता बनाकर दिया जाएगा ताकि परिजन उसका उपयोग रसोई घर के रूप में कर सकेंगे। ठेकेदार द्वारा स्पर्श क्लीनिक के लिए गड्ढा खोदकर छोड़ दिया गया है और निर्माण कार्य ही बंद है। ऐसे में अभी मरीजों के परिजनों कों वहां पर ही खुले आसमान के तले खाना बनाना पड़ रहा है।
गांव के एक गली में घूम रहा था चार फीट का मगरमच्छ, ग्रामीणों की पड़ी नजर तो उड़ गए होश, फिर… अटल समरसता भवन भी नहीं बचा
यहां मरीजों के परिजनों के ठहरने के लिए 49 लाख रुपए की लागत से अटल समरसता भवन भी बनाया गया था। लेकिन इसका उपयोग नहीं होने का हवाला देकर अस्पताल प्रबंधन ने इसे आयुष विंग बना दिया गया। ऐसे में मरीजों के परिजनों के ठहरने के लिए भी वर्तमान में कोई ठिकाना नहीं है। इसके पीछे अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि अटल समरसता भवन में वैसे भी मरीज के परिजन ठहर नहीं रहे थे जिससे इसका उपयोग नहीं हो रहा था। जिसके चलते यहां आयुष विंग को शिफ्ट किया गया है।
-स्पर्श क्लीनिक के लिए वहां पर भवन का निर्माण कराया जा रहा है। साथ ही वहां पर एक शेडयुक्त जगह का भी निर्माण कराएंगे जिससे मरीजों के परिजन को उचित व्यवस्था बन सके। हालांकि निर्माण कार्य अभी बंद है इसलिए देरी हो रही है। डॉ. बीपी कुर्रे सिविल सर्जन