शहर में हर दिन जगह-जगह कचरा जलाया जा रहा है। इसके नुकसान को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने खुले में कहीं भी कचरा न जलाने का आदेश दिया है। आदेश दिए तीन साल हो गए लेकिन इसका पालन शहर में नहीं हो पा रहा। जिला मुख्यालय में कभी भी कहीं भी कचरा जलते देखा जा सकता है। जिम्मेदार अधिकारियों ने अपनी आंखें मूंद ली है। आम लोगों के साथ ही सफाई अमला भी कचरा जला रहा है।
पुलिस लाइन में 369 पुलिस कर्मियों का हुआ स्वास्थ्य परीक्षण, तनाव से मुक्त रहने दिए गए टिप्स विडंबना ये है कि नगर पालिका ने अब तक इस दिशा में एक भी कार्रवाई तक नहीं की है। इसका खामियाजा शहर में रहने वाले लोगों को भुगतना पड़ रहा है। शहर की इस बड़ी समस्या को लेकर पत्रिका ने पड़ताल की तो चौकाने वाले कई तथ्य सामने आए। शहर में रोजाना 20 से 25 जगहों में कचरा जलता है। कचरा जलाने वाले कोई और नहीं, नगर पालिका के ही सफाईकर्मी है, जो खुलेआम कचरा जला रहे हैं। सबसे चौकाने वाले तथ्य यह है कि इक_ा हुए कचरे को जानबूझकर जलाया जा रहा है। अगर इक_ा हुए कचरे को न जलाएं तो उसे कचरा डंपिंग स्थल तक ले जाना पड़ेगा। कचरा डंपिंग स्थल शहर से बाहर तीन किमी दूर टीसीएल कालेज के पास है। ऐसे में जहां-तहां कचरा जलाकर परिवहन का खर्च बचाया जा रहा है।
कचरा जलाने से पर्यावरण के साथ ही मनुष्य पर भी बुरा असर पड़ता है। कचरे के ढेर में कई ऐसे पदार्थ होते हैं जो जलने पर जहरीली गैस छोड़ते हैं। कचरे के ढ़ेर में रखे कास्मेटिक पदार्थ भी जलते हैं, जो घातक हैं। कार्बन डाई आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड, सल्फर डाइ ऑक्साइड जैसे घातक गैस निकलते हैं।
शहर में अगर कचरा जलाया जा रहा है तो वह गलत है। सभी को निर्देशित किया गया है कि कचरा में आग न लगाएं। ऐसा किया जा रहा है तो संबंधित पर कार्रवाई की जाएगी- पीएन पटनायक, सीएमओ, जांजगीर-नैला