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जांजगीर चंपा

मिशन के अफसरों ने कागजों में बांट दी थी साढ़े आठ लाख की किताबें

तत्कालीन मिशन के अधिकारियों पर उठी उंगली

जांजगीर चंपाSep 04, 2018 / 08:21 pm

Shiv Singh

तत्कालीन मिशन के अधिकारियों पर उठी उंगली

तत्कालीन मिशन के अधिकारियों पर उठी उंगली

जांजगीर-चांपा. राजीव गांधी शिक्षा मिशन ने जिस स्नेह साहित्य सदन नई दिल्ली से वर्ष २०१० में दिल्ली की कंपनी स्नेह साहित्य सदन से ८ लाख ३५ हजार ४२५ रुपए की किताबें खरीदी थी वह केवल कागजों में की गई थी। नाम मात्र से चंद रुपयों की किताबें कंपनी से भेज दी गई थी और चेक भी काट दिया गया था,
लेकिन ऐन वक्त पर तत्कालीन कलेक्टर ब्रजेश चंद मिश्र ने फर्जीवाड़े की आशंका होने पर चेक में साइन नहीं किया था। आखिरकार मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इस दौरान कंपनी के कर्मचारियों ने मिशन से पुस्तक सप्लाई की पावती लेकर कोर्ट में याचिका दायर कर दिया। कोर्ट ने बुक कंपनी की याचिका स्वीकार कर ली और राजीव गांधी शिक्षा मिशन की संपत्ति के कुर्क करने का आदेश दे दिया। इधर मिशन के अधिकारी कुर्क के आदेश पाकर हाईकोर्ट जाने की तैयारी में है। इसके लिए वे आवश्यक दस्तावेज तैयार कर रहे हैं। ताकि कोर्ट में मामला पेंडिंग रहे।
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राजीव गांधी शिक्षा मिशन के अधिकारियों ने चार साल पहले सरकार के करोड़ो के बजट में किस कदर लाखों का हेराफेरी करते थे इसकी पोल परत दर परत खुल रही है। कुछ इसी तरह का लाखों की हेराफेरी का खेल वर्ष २०१० में किताब खरीदी के नाम पर करने की सूचना मिल रही है। बताया जा रहा है कि जिस स्नेह साहित्य सदन नई दिल्ली की कंपनी ने वर्ष २०१० में मिशन को किताब सप्लाई की थी उस कंपनी ने कागजों में लाखों की किताबें सप्लाई कर मिशन के अधिकारियों से सांठगांठ कर मोटी रकम कमाने की सुनियोजित चाल चली थी,
लेकिन मामला उल्टा पड़ गया। इस मामले में न तो मिशन के अफसर मोटी रकम कमा पाए और न ही बुक कंपनी को रकम मिला। आखिरकार मामला पेंडिंग में पड़ गया। कंपनी के कर्मचारी चार सालों तक यानी २०१४ तक मिशन का दरवाजा खटखटाते रहे लेकिन उनके बिलों का भुगतान नहीं हो पाया। इसके चलते कंपनी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अब मिशन के पास इतनी रकम भी नहीं है कि वह कंपनी को इतनी रकम का भुगतान कर दे।


कोर्ट जाने की योजना बना रहे अफसर
किबातें सप्लाई की १४ लाख ७० हजार रुपए की भुगतान से बचने के लिए मिशन के अफसर अब हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की योजना बना रहे हैं। अपनी नाक बचाने के लिए मिशन के अफसर अब यह चाह रहे हैं कि किसी भी तरह से मामला पेंडिंग में पड़ी रहे और उन्हें इतनी भारी भरकम रकम भुगतान से वे बच जाएं। मिशन के अफसरों का कहना है कि इस मामले को लेकर अब वे हाईकोर्ट जा रहे हैं। इसके लिए आवश्यक दस्तावेज तैयार कर रहे हैं। अफसरों का कहना है कि अब कोर्ट की लड़ाई कोर्ट से ही लड़ी जाएगी।


यह था पूरा मामला
राजीव गांधी शिक्षा मिशन ने स्कूलों में लाइब्रेरी के लिए वर्ष २०१० में दिल्ली की कंपनी स्नेह साहित्य सदन से ८ लाख ३५ हजार ४२५ रुपए की किताबें खरीदी थी। कंपनी के द्वारा मिशन को बुक की सप्लाई कर दी गई, लेकिन मिशन ने बुक कंपनी को साढ़े आठ लाख रुपए के बिलों का भुगतान नहीं किया। कंपनी स्नेह साहित्य सदन नई दिल्ली ने मामले में दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में याचिका दायर कर दिया। चार साल चले केस के बाद कोर्ट ने राजीव गांधी शिक्षा मिशन की संपत्ति को कुर्क करने का आदेश दे दिया। इस दौरान पूरे बिल का ब्याज सहित राशि १४ लाख ७० हजार ५१८ रुपए हो गया। तय तिथि २५ अगस्त को कुर्की की कार्रवाई के लिए दिल्ली के कोर्ट ने जांजगीर के जिला कोर्ट को आदेश दिया। जांजगीर जिला कोर्ट के कर्मचारी व स्नेह साहित्य सदन के कर्मचारी अतुल गुप्ता व राजीव कुमार शनिवार की सुबह राजीव गांधी शिक्षा मिशन कार्यालय पहुंचे थे। कुर्की की कार्रवाई शुरू होने ही वाली थी, लेकिन डीईओ जीपी भास्कर व डीएमसी संतोष कश्यप ने कोर्ट के कर्मचारियों से एक माह की मोहलत मांगी थी।

इस संबंध में हम कुछ कह नहीं सकते
वर्ष २०१० में मिशन में बुक की सप्लाई हुई थी या नहीं इस संबंध में हम कुछ कह नहीं सकते, लेकिन अब हाईकोर्ट में इस संबंध में याचिका दायर करेंगे। इसके लिए तैयारी की जा रही है।
-संतोष कश्यप, डीएमसी, रागाशिमि

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