इसे विभागीय उदासीनता कहें या लोगों में जागरुकता की कमी, क्योंकि नोटबंदी और कैशलेस अभियान को लेकर 8 नवंबर को एक साल पूरा हो गया है, लेकिन पब्लिक से जुड़े तीन डिपार्टमेंट्स में पीओएस पाइंट ऑफ सेल मशीन अब तक नहीं लगाई गई। कहीं लगी है,
तो उसका उपयोग न के बराबर है। आंकड़ों की मानें तो लगभग 25 फीसदी पेमेंट ही ऑनलाइन या पीओएस द्वारा हो रहा है। सरकारी संस्थानों के साथ 80 फीसीदी दुकानों में पीओएस मशीन नहीं है।
नगर पालिका,
बीएसएनएल और बिजली कंपनी, जिसका आम लोगों से सीधा जुड़ाव है। वहां बेहतर व्यवस्था नहीं बन पाई है। लोगों को कैशलेस स्कीम से जोडऩे जिला प्रशासन और नगर पालिका ने अभियान चलाया। इसका असर अभियान तक ही देखने को मिला। दुकानदार, उपभोक्ता और अधिकारी एकसाथ उदासीन हो गए। बात फिर नकदी लेनदेन पर अटक गई। इस बीच बैंक में पीओएस मशीन, पालिका में गुमास्ता लाइसेंस के लिए आवेदनों की भरमार हो गई। अब लेनेदेन पुराने ढर्रे पर आ गया है।
एटीएम जाने के बजाए यहीं पेमेंट करें– नगर पालिका में पानी, प्रॉपर्टी, किराया और अन्य तरह का पेमेंट हर दिन होता है। कैशलेस को लेकर पालिका प्रशासन ने काफी प्रचार-प्रसार भी किया था, लेकिन वह कारगर साबित नहीं हुआ।
नतीजा यह है कि पालिका कार्यालय में दो पीओएस मशीन है, लेकिन कई दिन निकल जाते हैं, इसका उपयोग नहीं हो पाता। कर्मचारियों ने बताया कि कुछ लोग भुगतान की राशि पूछकर लौटते हैं कि वे एटीएम से रुपए लेकर आते हैं तो उन्हें बताते हैं कि यहीं स्वैप कर लीजिए। तब कैशलेस पेमेंट हो पाता है।
20 फीसदी लोग ही करते हैं पेमेंट– बीएसएनएल के जिले में स्थित कार्यालयों में तकरीबन 35 हजार से अधिक लोग पहुंचते हैं। यह बड़ी संख्या है, उनके लिए कई दफ्तर में पीओएस मशीन लगाई गई है, लेकिन उससे भुगतान करने वालों की संख्या काफी कम है। बताया गया कि हर महीने 20 फीसदी कस्टमर ऐसे हैं, जो स्वाइप मशीन के माध्यम से बिल पेमेंट करते हैं।
दूर संचार विभाग के अधिकारी ने कहा कि मशीन भी लगी है, लेकिन लोगों को रुझान कम है। कस्टमर्स को कहा जाता है कि वे अधिक से अधिक कैशलेस पर काम करें, ताकि उन्हें सुविधा हो। इसके अलावा ऑनलाइन पेमेंट पर भी फोकस करें, जिससे इसका ट्रेंड बढ़ेगा।
बिजली बिल पटाने भी समस्या– बिजली बिल पटाने के लिए शहर में दो जगह काउंटर है। पहला नया बस स्टैंड के पास में और दूसरा नैला में। दोनों ही स्थानों पर अब पीओएस मशीन नहीं लग पाई है। जिससे कि उपभोक्ता कार्ड स्वाइप कर बिल का पेमेंट कर सके, जबकि हर दिन यहां लंबी कतार लगी रहती है। चिल्हर और देरी के कारण लोगों को जूझना पड़ता है।