इसके बाद भी केंद्रों में तमाम दावों के बाद भी अव्यवस्था का आलम बना हुआ है। यहां कैप कव्हर के अभाव में धान बारिश में भीग रहे हैं। धान की सुरक्षा को लेकर सभी समितियों में हर साल हजारों रुपए दिए जाते हैं, लेकिन ये रुपए कहां खर्च होते हैं, कभी किसी ने जानने का प्रयास नहीं किया है। केंद्रों में किसान परेशान हो रहे हैं और तौल के लिए पहुंचे किसानों का धान भी भीग रहा है, लेकिन केंद्र प्रभारी अपने में मस्त हैं।
बिचौलियों पर नहीं लगाम
बिचौलिए औने-पौने दाम में गांवों में किसानों का धान खरीद लेते हैं, फिर समर्थन मूल्य पर समितियों में बेचते हैं। इसमें धान खरीदी केंद्रों के प्रभारियों की भी मिली भगत रहती है। प्रभारी धान के कम तौल और किसान पुस्तिका को नजरअंदाज कर देते हैं। धान खरीदी केंद्रो में बिचौलिए खेल शुरु हो चुका है। किसानों से कम रेट में पहले धान खरीद लेते हैं, फिर केंद्र प्रभारियों से मिली भगत कर समर्थन मूल्य पर बेचने का कारोबार कर रहे हैं।
नहीं हो रहा निरीक्षण
जिले के आसपास के केंद्रों में भी धान खरीदी का निरीक्षण नहीं किया जा रहा है, तो दूरस्थ अंचल का अंदाजा लगाया जा सकता है। इनमें खोखरा, मुनुंद, धुरकोट, सिवनी, बनारी, तिलाई सहित अनेक केंद्र जिले के आस-पास है, लेकिन राजस्व विभाग के साथ अन्य प्रभारियों की टीम ने अभी तक दबिश नहीं दी है। कलेक्टर ने जरुर कुछ केंद्रों का निरीक्षण कर आवश्यक निर्देश दिए हैं, लेकिन अन्य अधिकारियों के पास समयाभाव बना हुआ है। केंद्रों में नियमित निरीक्षण नहीं होने से केंद्र प्रभारी निरंकुश हो गए हैं।
-बारिश से मामूली नुकसान हुआ है। जिसकी भरपाई कर ली जाएगी। बारिश से बचने के लिए समुचित इंतजाम किए गए हैं।
-मदन साहू, फड़ प्रभारी, उपार्जन केन्द्र भैसतरा