अलबत्ता जिला अस्पताल के डॉक्टर सरकार का एक-एक लाख वेतन उठा रहे हैं वहीं अपने घर में खुलेआम दुकानदारी भी चला रहे हैं। इससे नर्सिंग होम एक्ट की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। जबकि सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि कोई भी सरकारी डॉक्टर इस तरह के न तो सोनोग्राफी सेंटर चला सकते हैं और न ही पैथोलॉजी चलाने उन्हें अनुमति मिलेगी। जबकि कलेक्टर ने इन डॉक्टरों को स्पष्ट चेतावनी दी है कि ऐसे डॉक्टर अपना क्लीनिक बंद करें। इसके बाद भी डॉक्टरों को कलेक्टर के आदेश की परवाह नहीं है।
चिकित्सा की दुकानदारी को खत्म करने सरकार ने तीन साल पहले कड़े नियम बनाए हैं। जिसमें नर्सिंग होम एक्ट के तहत कोई भी डॉक्टर एक्ट के नियम से दूर जाकर न तो नर्सिंग होम चला सकते। नियम को तोड़कर दुकान चलाने वालों पर न केवल कड़ी कार्रवाई बल्कि सजा का भी प्रावधान है, लेकिन कलेक्टर के नाक के नीचे ही इस तरह का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। कुछ लोगों ने मामले की शिकायत कलेक्टर से की भी है, कलेक्टर ने ऐसे डॉक्टरों को मीटिंग में स्पष्ट चेतावनी भी दी थी, लेकिन उनके आदेश के बाद भी डॉक्टरों की दुकान धड़ल्ले से चल रही है।
अस्पताल छोड़, क्लीनिक में दे रहे समय
नर्सिंग होम एक्ट के नियमों का पालन नहीं करने वाले डॉक्टरों की सबसे बड़ी लापरवाही तब उजागर होती है, जब जिला अस्पताल में सेवा दे रहे डॉक्टर अधिकतर समय अपने क्लीनिक में रहते हैं। वहीं जिला अस्पताल के मरीज बिना डॉक्टर के भटकते रहते हैं। जबकि सरकार अस्पताल में सेवा देने के लिए बकायदा ९० हजार रुपए से सवा लाख रुपए डॉक्टरों को वेतन देती है। इसके बाद भी डॉक्टरों को सरकार के इतने पैसे से संतुष्टि नहीं मिलती।
-जिले में और भी सैकड़ो पैथोलाजिकल क्लीनिक संचालित है। उन पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। हमने लैब संचालन के लिए सीएमएचओ कार्यालय में आवेदन जमा किया है, लेकिन अनुमति नहीं मिल रही है- डॉ. प्रताप सिंह कुर्रे, चिकित्साधिकारी जिला अस्पताल
-कोई भी डॉक्टर अपने निजी संस्थान में सोनोग्राफी सेंटर व पैथोलॉजी सेंटर चला सकता है। जिसने भी जानकारी दी है, वह गलत है। सोनोग्राफी सेंटर की शिकायत पर डिप्टी कलेक्टर की टीम ने जांच किया था। सोनोग्राफी सेंटर चलाने छूट दी है, तभी सोनोग्राफी सेंटर खुलकर चला रहा हूं- डॉ. पीसी जैन, सिविल सर्जन