प्रार्थी ही पुलिस के लिए सबसे बड़ा ब्रांड एंबेसडर- एसपी विजय अग्रवाल
पुलिस के लिए प्रार्थी ही सबसे बड़ा ब्रांड एंबेसडर होता है। यदि प्रत्येक थाना प्रभारी प्रार्थी की बातें गंभीरता से सुने, उसके साथ सिधाई से पेश आए ताकि उसे पूरी तरह से संतुष्टि मिले। उसके मन में यह विचार आए कि पुलिस ने मेरी बातें गंभीरता से सुनी है। वह अपने आसपड़ोस के चार लोंगो को बताएगा जिससे हमारी विश्वसनियता बढ़ेगी। फरियादियों की सुने और उसकी परिस्थितियों को भांपकर सही कदम उठाए वही एक सच्चा थानेदार हो सकता है।
प्रार्थी ही पुलिस के लिए सबसे बड़ा ब्रांड एंबेसडर- एसपी विजय अग्रवाल
जांजगीर-चांपा। यह बातें प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में नव पदस्थ एसपी विजय अग्रवाल ने शनिवार को पुलिस अधीक्षक कार्यालय में मीडिया से बात साझा करते हुए कही। उन्होंने कहा कि अपराध को कम करने के लिए केवल पुलिस ही जिम्मेदार नहीं है। उसके पास जादू की झड़ी भी नहीं है। इसके लिए हम सभी को जागरूक होना होगा। पहले अपने ही लोगों को अपराध के दलदल से निकालना होगा। थाने में ही सभी समस्याओं का हल नहीं निकल सकता। दुनिया के साथ कदम में कदम मिलाकर चलना होगा। तभी हम आगे बढ़ सकते हैं। सड़क दुर्घटना को उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पुलिस की चालानी कार्रवाई से सड़क दुर्घटनाओं में कमी नहीं आएगी। इसके लिए हमें ही जागरूक होना होगा। वाहन चलाते वक्त हेलमेट पहनना होगा। कार में सीट बेल्ट का इस्तेमाल करना होगा। समाजिक बुराईयों को कम करने के लिए समाज कंटकों को आगे आना होगा। समाजिक बैठकें कर समाज को सुधारा जा सकता है। एसपी विजय अग्रवाल ने अपने तीन कार्यकाल जांजगीर-चांपा जिले में ही बिताते हुए अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि इस जिले में औसतन अन्य जिलों की अपेक्षा हर तरह के बड़े अपराध होते हैं। जो इस जिले में पुलिसिंग कर ली है वह कहीं भी किसी भी जिले में आसानी से पुलिसिंग कर सकता है।
पीओ बनना चाहते थे पर बन गए डीएसपी
मूलत: चंदखुरी के पास के छोटे से गांव नगपुरा में जन्मे एसपी विजय अग्रवाल ने अपनी पर्शनल लाइफ के बारे में साझा करते हुए कहा कि वे एमएससी गणित में पढ़ाई करने के बाद बैंक में पीओ (प्रोबेशनरी अफसर) बनना चाहते थे। लेकिन परिजनों को यह जॉब रास नहीं आया। इसके बाद पीएससी की पढ़ाई के लिए भोपाल गए और पीएससी की परीक्षा दिलाई। जिसमें टॉपर रहे। इतना ही नहीं इंटरव्यू में उन्हें १०० में १२० नंबर मिला और डिप्टी कलेक्टर व डीएसपी का विकल्प चुनने कहा। जिसमें उन्होंने डीएसपी पद चुना। १९९८ में डीएसपी बने। ९ साल बाद यानी २००७ में एडिशनल एसपी बने। इसके बाद उनकी कार्यकुशलता को देखते हुए वर्ष २०१८ में आईपीएस अवार्ड मिल गया। आईपीएस बनने के बाद उन्हें १९-२० में बटालियन में कमांडेंट का पद मिला। फिर २०२१ में जशपुर एसपी बने। इसके बाद १ मई २०२२ में जांजगीर-चांपा एसपी बनकर इस जिले में आए।
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