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जावरा

पुलिस के इनकार करने पर कोर्ट ने दर्ज कराई एफआईआर

पुलिस के इनकार करने पर कोर्ट ने दर्ज कराई एफआईआर

जावराApr 04, 2019 / 11:22 am

Sourabh Pathak

patrika

चाकूबाजी में दो भाई घायल

रतलाम। गंगा और ब्रम्हपुत्र जैसी नदियों से रेत निकालने का काम करने वाली कंपनी ने रतलाम के व्यापारी से सहभागिता करके उसे करीब डेढ़ करोड़ रुपए से अधिक का चुना लगा दिया है। ठगी का शिकार हुई रतलाम की फर्म ने जब इस संबंध में पुलिस में शिकायत दर्ज कराना चाही तो पुलिस उसे टल्ले देती रही। इस बात से परेशान होकर पीडि़त पक्ष ने न्यायालय में याचिका दायर की जिस पर न्यायालय ने मुंबई की फर्म से जुड़े तीन लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज किया है।
अभिभाषक राजेंद्र शर्मा ने बताया कि न्यायालय ने केस दर्ज करने के साथ ही शहर की थाना स्टेशन रोड पुलिस को तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश करने के निर्देश भी जारी किए है। ठगी से जुड़े इस मामले की शिकायत मित्र निवासी कॉलोनी निवासी जयप्रकाश शर्मा ने की थी, जिस पर न्यायालय ने महाराष्ट्र के नवी मुंबई निवासी अवनिंद्रकुमार त्रिपाठी, राघवेंद्र दुबे और इनके सीए राजेश शुक्ला के खिलाफ धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज किया है।
एेसे हुई ठगी की शुरुआत
नवंबर 2011 में अवनिंद्र ने जयप्रकाश के समक्ष व्यापारिक संधि का प्रस्ताव रखा था। उसका कहना था कि गंगा और ब्रम्हपुत्र नदी के तलकर्षण का ठेका मिला है, लेकिन उसकी कंपनी की हालत वर्तमान में ठीक नहीं है, जिस कारण से वह ये काम करने में सक्षम नहीं है। यदि पीडि़त इस काम में निवेश करता है, तो वह ४५ प्रतिशत की हिस्सेदारी दे देगा। इसके बाद दोनों के बीच अनुंबध हुआ और जयप्रकाश ने 45 प्रतिशत के मान से ८७ लाख १२ हजार रुपए आरोपी पक्ष को देकर व्यापारिक संधि की थी। इसमें जयप्रकाश व छोटा भाई योगेश डायरेक्टर बने थे।
रतलाम में खुले थे खाते
दोनों के बीच पार्टनशिप होने के बाद आरोपी पक्ष ने उनके द्वारा मुंबई में खुलवाए गए बैंक खाते बंद करा दिए थे और रतलाम में नए सिरे से खाते खुले थे। साथ ही राशि निकालने के लिए चारों डायरेक्टर के हस्ताक्षर अनिवार्य होने की बात कही थी। वर्ष 2014-15 में तीनों आरोपियों ने सांठ-गांठ करके कंपनी का आर्थिक चिट्ठा तैयार किया और ऑडिट रिपोर्ट अनाधिकृत रूप से पेश की थी। पीडि़त पक्ष को किसी भी बोर्ड मीटिंग में नहीं बुलाकर ६० लाख रुपए वेतन और एक करोड़ 7 लाख 64 हजार रुपए अवैध तरीके से ट्रांसफर कर दिए थे।
आर्थिक अनियमितता भी की
डेढ़ करोड़ रुपए की ठगी के साथ ही आरोपियों ने करीब 82 लाख 45 हजार रुपए से अधिक की आर्थिक अनियमितता भी की। इस पर पीडि़त ने 4 जनवरी 2016 को थाने पर शिकायत की थी, जिस पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की। इसके बाद पीडि़त ने काफी समय तक इंतजार किया और अंत में न्यायालय में याचिका लगाई जिसके चलते न्यायालय ने प्रकरण दर्ज किया।
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