विवाद बढऩे पर कोतवाली प्रभारी लक्ष्मण सिंह धुर्वे ने हस्तक्षेप करते हुए प्रशिक्षण दे रहे एनजीओ के कार्यकर्ताओं को एसडीएम के समक्ष प्रस्तुत किया। एसडीएम द्वारा की गई पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ कि प्रशिक्षण के लिए जिले भर से खाद्य व्यवसाईयों को जुटाने की सूचना प्रशिक्षण के आयोजकों ने ना तो एसडीएम कार्यालय को दी थी और ना ही कोतवाली पुलिस को। इस पूरे प्रशिक्षण पर उस वक्त संदेह के बादल मंडराने लगेएजब प्रशिक्षण के एवज में संस्था द्वारा वसूले जा रहे शुल्क की प्रशासकीय स्वीकृति से संबंधित कोई भी दस्तावेज एसडीएम के समक्ष ना तो एनजीओ के कार्यकर्ता प्रस्तुत कर पाएं और ना ही खाद्य और सुरक्षा के प्रभारी अधिकारी। बदसूलकी शिकायत पर कोतवाली पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है।
जिला खाद्य एवं सुरक्षा अधिकारी संजय कुमार के मुताबिक भारतीय खाद्य एवं मान प्राधिकरण, नई दिल्ली ने एफओएसडीएसी योजना के तहत खाद्य का कारोबार करने वाले सभी कारोबारियों प्रशिक्षण दिया जाना है। इस प्रशिक्षण के लिए महाराष्ट्र के नागपुर की एक एनजीओ को अधिकृत किया गया है। इस एनजीओ ने शहर के निर्वाणा होटल में 6 और 7 मार्च को प्रशिक्षण का आयोजन किया गया था। शनिवार को इस प्रशिक्षण में शहर और इसके आसपास के ग्रामीण अंचल के कारोबारियों को बुलाया गया था।
यह पूरा प्रशिक्षण कार्यक्रम उस वक्त विवादों में घिर गया, जब शहर के कुछ कारोबारियों ने प्रशिक्षण के एवज में वसूले जा रहे शुल्क पर आपत्ति जताई। इन कारोबारियों का आरोप था कि प्रशिक्षण में शामिल होने के लिए उन पर एनजीओ द्वारा लगातार दबाव बनाया जा रहा था। उनके मोबाइल नम्बर एनजीओ के कॉल सेंटर से लगातार कॉल करके अनिवार्य रूप से प्रशिक्षण में शामिल होने और शामिल ना होने पर कारोबार के लिए किया गया पंजियन व जारी लाइसेंस निरस्त करने की चेतावनी दी जा रही थी। अपना कारोबार और रोजगार को सुरक्षित रखने के लिए दहशत में आए खाद्य कारोबारी इस कथित प्रशिक्षण में शामिल होने के लिए सुबह से निर्वाणा होटल पहुंचने लगे थे। होटल के सामने स्थित प्रवेश द्वार के एक किनारे में अलग से स्टाल लगा कर एनजीओ के कार्यकर्ता, इन कारोबारियों से शुल्क वसूल कर रहे थे।
इस पूरे प्रशिक्षण को लेकर संदेह होने पर शहर के कुछ कारोबारी इसकी हकीकत जानने के लिए एसडीएम दशरथ राजपूत के पास पहुंच गए। इस बीच मामले की हकीकत जानने के लिए निर्वाणा होटल के सामने मीडिया कर्मचारी भी पहुंचने लगे। कोतवाली पुलिस से की गई शिकायत के मुताबिक पत्रकारों ने जब इस एनजीओ से जुड़े संजय काले से इसकी जानकारी लेने का प्रयास किया तो उन्होंने मीडिया से बदसलूकी करना शुरू कर दिया। उन्होंने किसी प्रकार की जानकारी नहीं दी। अव्यवस्था से हंगामा शुरू हो गया। प्रशिक्षण के लिए आए कारोबारियों ने भी प्रशिक्षण के लिए शुल्क की वसूली को लेकर आपत्ति जताने लगे। विवाद बढऩे की सूचना पर मौके पर पहुंची कोतवाली पुलिस ने स्थिति संभाली।
पुलिस प्रशासन को नहीं दी सूचना
खाद्य कारोबारियों के इस कथित प्रशिक्षण को लेकर खाद्य एवं सुरक्षा विभाग की लापरवाही और एनजीजओ की मनमानी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि होटल निर्वाणा में जिले भर से सैकड़ों की संख्या में कारोबारियों के जुटने की सूचना ना तो स्थानीय पुलिस प्रशासन को दिया गया था और ना ही एसडीएम कार्यालय को। मामले को लेकर विवाद की स्थिति निर्मित होने के बाद इस पूरे कार्यक्रम की भनक कोतवाली पुलिस को मिली। तकरीबन 3 माह पूर्व होटल निर्वाणा में हुए एक हादसे में यहां ठहरे उत्तर प्रदेश निवासी की मौत हो गई थी। इस हादसे के बाद यहां जमकर हंगामा हुआ था। इस घटना के बाद भी खाद्य एवं सुरक्षा विभाग की इस लापरवाही से अधिकारी भी हतप्रभ नजर आए।
विभाग को भी नहीं मालूम कितना शुल्क लेना है
खाद्य एवं सुरक्षा विभाग के इस कथित प्रशिक्षण को लेकर उस वक्त संशय होने लगा जब एसडीएम दशरथ राजपूत के समक्ष जिला अधिकारी संजय कुमार ने प्रशिक्षण के लिए निर्धारित शुल्क से संबंधित कोई भी शासकीय आदेश प्रस्तुत नहीं कर पाए। उनका कहना था कि यह प्रशिक्षण जिले के दूसरे जिलों में भी आयोजित किया गया हैएइसलिए उन्होनें भी इसकी अनुमति दे दी। वहीं एनजीओ के पदाधिकारियों ने वाट्सएप में आए प्रदेश सरकार के एक आदेश को एसडीएम को दिखाया। उनका दावा था कि वे केन्द्र सरकार द्वारा जारी किए गए एक निविदा को हासिल करके इस प्रशिक्षण का आयोजन कर रहे हैं। लेकिन इस तथाकथित निविदा से संबंधित कोई भी दस्तावेज खाद्य एवं सुरक्षा विभाग के पास मौजूद नहीं था।