ईदी पाकर खिले चेहरे: ईद के मौके पर अपने से छोटों को ईदी देने की परंपरा रही है। जिसका बच्चों को बेसब्री से इंतजार रहता है। घरों में मां बाप, दादा दादी, नाना नानी व बड़ों ने छोटों को ईदी दी। ईदी में नकद राशि उपहार आदि दिए जाते हैं। बड़ों से ईदी पाकर बच्चों के चेहरे खिल उठे। पर्व में हिंदू, ईसाइयों व अन्य धर्म के लोगों ने भी अपने मुसलमान भाइयों को गले लगाकर ईद की मुबारकबाद दी।
एक दूसरे के दुख को महसूस कर दें साथ : नमाज के पहले मौलाना मंसूर ने तकरीर की। उन्होंने कहा कि इस्लाम मोहब्बत का पैगाम देता है। गले मिलने से पहले अपने रुह से नफरत और रंजिश निकाल कर फेंक दें। तभी सही मायने में ईद की खुशी होगी। उन्होंने कहा कि एक दूसरे के दुख को महसूस करना, जरुरतों में काम आना, उनका साथ देना यही इंसानियत है। उन्होंने कहा कि इस मुकद्दस पवित्र मौके पर हर कौम, हर सूबे, अपनी मुल्क और पूरी कायनात की हिफाजत के लिए दुआ करें।
एक दूसरे के दुख को महसूस कर दें साथ : नमाज के पहले मौलाना मंसूर ने तकरीर की। उन्होंने कहा कि इस्लाम मोहब्बत का पैगाम देता है। गले मिलने से पहले अपने रुह से नफरत और रंजिश निकाल कर फेंक दें। तभी सही मायने में ईद की खुशी होगी। उन्होंने कहा कि एक दूसरे के दुख को महसूस करना, जरुरतों में काम आना, उनका साथ देना यही इंसानियत है। उन्होंने कहा कि इस मुकद्दस पवित्र मौके पर हर कौम, हर सूबे, अपनी मुल्क और पूरी कायनात की हिफाजत के लिए दुआ करें।