गड़बड़ी के बारे में जब और अधिक तहकीकात की तो पता चला, अधीक्षक आश्रम में अनुपस्थित बच्चों का भी हाजिरी लगाकर अनाज को बचाता है और उसे बाजार में लेजाकर बेच देता है। गेड़ई अंबाकोना आश्रम 50 बिस्तर का है। लेकिन नियमित रूप से सभी बच्चे यहां नहीं रहते हैं। और उनका नियमित उपस्थिति रजिस्टर में दिखाया जाता है। इस और खेल से बचे अनाज को अधीक्षक के द्वारा बेचा जाता है।
जब गेड़ई अंबाकोना आश्रम पहुंचे तो वहां उनकी मुलाकात आश्रम के चपरासी सानू कोरवा से हुई। कोरवा जनजाति अपने सीधे-साधे स्वभाव और भोलापन के लिए पहचाने जाते हैं। अपने इसी अंदाज में सच को सामने लाते हुए सानू कोरवा ने बताया कि उसने और आश्रम में रहकर 7वीं कक्षा की पढ़ाई करने वाले छात्र रंजीत राम ने अधीक्षक को स्वयं पीकअप में बोरी-बोरी चावल ले जाते हुए देखा है। आश्रम में पदस्थ चपरासी सानू कोरवा ने बताया कि वह अधीक्षक को चावल की चोरी करते हुए देखा है। इसकी सूचना मंडल संयोजक को दी गई पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी प्रकार से गेड़ई निवासी ग्रामीण कालेश्वर राम ने बताया कि दर्जनों ग्रामीण आश्रम में व्याप्त अव्यवस्था की शिकायत लेकर मंडल संयाजक के पास गए थे लेकिन उन्होंने कार्रवाई नहीं की।
आश्रमों की देखरेख के लिए आदिवासी विकास विभाग की ओर से विकासखंड स्तर पर मंडल संयोजकों की नियुक्ति की गई है। वे अपने विकासखंड में स्थित आश्रमों की व्यवस्था की नियमित निगरानी करते हैं। साथ ही किसी तरह की अव्यवस्था की स्थिति सामने आने के बाद उसमें सुधार करने का प्रयास करते हैं। गेड़ई के ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने मंडल संयोजक लोखित भगत से लिखित में मामले की शिकायत की थी पर उन्होंने कार्रवाई करने के बजाए उसे दबा दिया।
द्गएसके वाहने, सहायक आयुक्त, आदिवासी विभाग