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जशपुर नगर

हॉस्टल अधीक्षक बच्चों के खाना में डाल रहे डाका, रात में चावल बेचने का मामला हुआ उजागर

अंबाकोना आदिवासी आश्रम का मामला: मंडल संयोजक ने रफा-दफा किया मामला

जशपुर नगरMar 03, 2020 / 03:41 pm

CG Desk

हॉस्टल अधीक्षक बच्चों के अनाज में डाल रहे डाका, रात में चावल बेचने का मामला हुआ उजागर

हॉस्टल अधीक्षक बच्चों के अनाज में डाल रहे डाका, रात में चावल बेचने का मामला हुआ उजागर

जशपुर. आदिवासर बाहुल्य जशपुर जिले में ग्रामीण गरीब, आदिवासी बच्चों को अच्छे वातावरण में अच्छी शिक्षा देने के लिए लाखों-करोड़ों रुपए खर्च कर आश्रम और हॉस्टल का निर्माण कराया गया है। लेकिन इन आश्रमों के संचालन के लिए भेजी गई राशि और अनाज पर आला अधिकारियों से लेकर निचले क्रम के कर्मचारियों को तक डाका डाल रहे हैं।
आदिवासी आश्रम के अनाज की चोरी कर उसे बाजार में बेचने का एक मामला मनोरा विकासखंड से सामने आया है। मामला गेड़ई अंबाकोना का है। दरअसल अंबाकोना के ग्रामीणोंं ने आश्रम के द्वारा चावल चोरी करने की शिकायत विभाग के अधिकारियों से की थी। इसकी जानकारी मीडिया को मिली तो मामले की हकीकत जानने अंबाकोना पहुंचे जहां ग्रामीण शानू कोरवा और कालेश्वर राम ने वीडियो में बयान देकर बताया कि उन्होंने अधीक्षक को चावल पीकअप में डालकर ले जाते अपनी आंखों से देखा है।
इसकी सूचना अन्य ग्रामीणों को भी मिली। उसके बाद सभी ने मिलकर फैसला किया कि इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से की जाएगी। लेकिन उन्होंने उच्च अधिकारी के पास शिकायत करने के बजाए मंडल संयोजक लोखित भगत से शिकायत की और कार्रवाई करने के लिए कहा। लेकिन इसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
बच्चों की दर्ज संख्या बढ़ाकर होता है गोलमाल
गड़बड़ी के बारे में जब और अधिक तहकीकात की तो पता चला, अधीक्षक आश्रम में अनुपस्थित बच्चों का भी हाजिरी लगाकर अनाज को बचाता है और उसे बाजार में लेजाकर बेच देता है। गेड़ई अंबाकोना आश्रम 50 बिस्तर का है। लेकिन नियमित रूप से सभी बच्चे यहां नहीं रहते हैं। और उनका नियमित उपस्थिति रजिस्टर में दिखाया जाता है। इस और खेल से बचे अनाज को अधीक्षक के द्वारा बेचा जाता है।
चपरासी और बच्चे ने किया खुलासा
जब गेड़ई अंबाकोना आश्रम पहुंचे तो वहां उनकी मुलाकात आश्रम के चपरासी सानू कोरवा से हुई। कोरवा जनजाति अपने सीधे-साधे स्वभाव और भोलापन के लिए पहचाने जाते हैं। अपने इसी अंदाज में सच को सामने लाते हुए सानू कोरवा ने बताया कि उसने और आश्रम में रहकर 7वीं कक्षा की पढ़ाई करने वाले छात्र रंजीत राम ने अधीक्षक को स्वयं पीकअप में बोरी-बोरी चावल ले जाते हुए देखा है। आश्रम में पदस्थ चपरासी सानू कोरवा ने बताया कि वह अधीक्षक को चावल की चोरी करते हुए देखा है। इसकी सूचना मंडल संयोजक को दी गई पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी प्रकार से गेड़ई निवासी ग्रामीण कालेश्वर राम ने बताया कि दर्जनों ग्रामीण आश्रम में व्याप्त अव्यवस्था की शिकायत लेकर मंडल संयाजक के पास गए थे लेकिन उन्होंने कार्रवाई नहीं की।
मंडल संयोजक ने दबा दिया मामला
आश्रमों की देखरेख के लिए आदिवासी विकास विभाग की ओर से विकासखंड स्तर पर मंडल संयोजकों की नियुक्ति की गई है। वे अपने विकासखंड में स्थित आश्रमों की व्यवस्था की नियमित निगरानी करते हैं। साथ ही किसी तरह की अव्यवस्था की स्थिति सामने आने के बाद उसमें सुधार करने का प्रयास करते हैं। गेड़ई के ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने मंडल संयोजक लोखित भगत से लिखित में मामले की शिकायत की थी पर उन्होंने कार्रवाई करने के बजाए उसे दबा दिया।
मामले में अबतक कार्रवाई क्यों नहीं की गई इसकी जानकारी लेकर त्वरित कार्रवाई किया जाएगा।
द्गएसके वाहने, सहायक आयुक्त, आदिवासी विभाग

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