पिछले वर्ष हुई थी मजदूर की मौत : बोरवेल की खुदाई करने दर्जनो की तादाद मे दूसरे राज्य के लोग यहां पहुंचते हैं। ये क्षेत्रीय मजदूरों की ना समझी का फायदा उठाकर उन्हे अपने साथ तमिलनाडु जैसे राज्यों मे ले जाते हैं। जहा से इनके आने का कोई ठिकाना नही रहता है। पिछले वर्ष गोर्रापारा के एक मजदूर की तमिलनाडु मे काम करने के दौरान मौत हो गई थी।
रोजगार के नहीं हैं कोई साधन : पत्थलगांव का अधिकांश ईलाका कृषि प्रधान होने के कारण बड़े उद्योगों को स्थापित करने मे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, यही वजह है कि पिछले कई दशक से जिले की भूमि पर एक भी उद्योग स्थापित नही हो पाया है। बताया जाता है कि आदिवासी बाहुल्य ईलाका होने के कारण यहां के लोगों के अंदर जागरूकता की भी कमी है, जिसके कारण बाहरी दलाल यहां के लोगो को बड़े महानगरों का सब्जबाग दिखाकर आसानी से उन्हे बाहर ले जाते हैं। बाहर जाने के बाद मजदूरों का सालंों साल कोई अता पता नही रहता है। बताया जाता है कि यहां से मजदूरो को ले जाने के बाद दलालो द्वारा उनका आर्थिक एवं दैहिक शोषण किया जाता है।