दरअसल जिले के ग्रामीण और शहरी अंचल में जगह जगह विक्षिप्त दिख जाते हैं। कोई इन्हे देख कर हमले की आंशका से भागने में ही भलाई समझता है तो कोई इनकी भूख को देख कर खाने पीने की सामग्री भी दे देता है, लेकिन इन विक्षिप्तों की दशा सुधारने के लिए किसी ने भी सार्थक पहल नहीं की है। कुनकुरी क्षेत्र में ईसाई मिशनरी व्दारा संचालित डॉन बास्को सेवा भावी संस्था व्दारा विक्षिप्तों को अपने संस्थान में रख कर इलाज करने के अलावा जटिल रोगियों को रांची मेंटल हास्पिटल भेजने का अवश्य बीड़ा उठाया है पर इस काम में अन्य लोगों का सहयोग नहीं मिल पाने से सीमित मरीजों को ही मानसिक चिकित्सा सुविधा का लाभ मिल पा रहा है।
बेहद जरूरी है मनोरोगी का समय पर इलाज : जशपुर जिले में पत्थलगांव सिविल अस्पताल में मेडिसिन विशेषज्ञ डा. पी सुथार का कहना था कि वास्तव में परिवार के लोग अपनी जिम्मेदारी से विमुख हो रहे हैं। यही वजह है कि घर के सदस्य गांजा, शराब तथा अन्य नशा के आदी हो रहे हैं। तनाव भी लोगों में विक्षिप्तता का प्रमुख कारण है। इसलिए रोगी में विकार बढऩे से पहले उपचार में ध्यान देना चाहिए। डा. सुथार का कहना था कि वास्तव में हमें विक्षिप्त व्यक्ति के प्रति सहानुभूति अपनानी चाहिए। उन्होने कहा कि मनोरोगी किस सीजन में बढ़ते हैं, इसका कोई शोध परक प्रमाण तो नहीं है। पर इनके बढऩे का बड़ा कारण नशा व बेवजह तनाव की अधिकता है। ऐसे रोगी का इलाज कराने में परिवार के लोगों को लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।
मदद के लिए सामने नहीं आ रहे लोग व संस्थाएं : जिले के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं प्रमुख समाज सेवी मुरारीलाल अग्रवाल का कहना है कि हमारे दान दाताओं व्दारा आयोजित किए जाने वाले विभिन्न कार्यक्रम के मंच से कई बार सेवा भावना के कार्यो में ऐसे बेसहारा लोंगो की मदद लेने की पेशकश तो की जाती है लेकिन मानसिक रोगी और मंदबुद्धि के मरीजों की सेवा का थोड़ा जटिल काम होने से इस ओर ठोस पहल नहीं हो पाई है। जशपुर जिले में विक्षिप्तों की निरंतर बढ़ती जनसंख्या के बाद भी इस दिशा में अभी तक कोई ठोस प्रयास नहीं हो पाने से ज्यादातर विक्षिप्त सडक़ों पर घिसट कर अपना जीवन व्यतित कर रहे हैं। इन विक्षिप्तों के जीवन में बदलाव की बात मात्र चिंतन बैठक तक ही सीमित रह गई है।