एक वर्ष पहले टूटा पुल आज भी नहीं बन पाया : ग्राम अंगराकोना के ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में आने जाने के लिए सड़क की व्यवस्था नहीं है जिसके कारण वे पगडंडी के रास्ते आना जाना करते हैं। वहीं नदी पार करने के लिए उनके गांव में एक पुल का भी निर्माण कराया गया था, जो पिछले बारिश में टुट चुका है। पुल के टूट जाने के कारण अब उन्हें नदी के पानी के उतर कर पार होना मजबूरी बन गई है। वहीं बरसात के दिनों में यह गांव टापू में तब्दील हो जाता है और नदी में पानी भरने से आवागमन करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। यहां के ग्रामीणों ने बताया कि अगर किसी ग्रामीण की तबियत खराब हो जाए तो एम्बुलेन्स गांव तक नहीं पहुंच पाती है, जिसके कारण उन्हें और ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है। यहां के ग्रामीणों का कहना है कि यदि क्षतिग्रस्त पुल का निर्माण हो जाए तो कुछ हद तक उनकी समस्या का सामधान हो जाएगा। इतना ही नहीं यहां के ग्रामीणों को पेयजल की भी काफी किल्लत होती है पीने के लिए सिर्फ नदी किनारे बना छोटा सा कुंआ है जो स्कूली बच्चों समेत तमाम लोगों की प्यास बुझाती है और इससे बीमारियों का खतरा हमेशा बना रहता है।
पीना पड़ रहा है नदी और कुआं का पानी : अंगराकोना गांव में पेयजल की भी समस्या बनी हुई है। यहां के ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल भी मुहैया नहीं हो पा रहा है। वहीं यहां के बुनियादी सुविधाओं के आभाव में यहां छात्र-छात्राओं को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नदी में पुल के टूट जाने के कारण छात्र-छात्राओं को नदी पार कर स्कूल आना जाना पड़ता है। स्कूल के छात्र रमेश कुमार और छात्रा गीतामुनी ने बताया कि बारिश के दिनों में नदी भर जाने के कारण उन्हें नदी पार करके ही स्कूल आना पड़ता है। वहीं गांव में पेयजल की समस्या होने के कारण उन्हें नदी या स्कूल के पास बने कुएं का पानी पीना पड़ता है। नदी और कुंआ का पानी पीने से उन्हें हमेशा बीमारियों का खतरा भी सताते रहता है।