गर्मी आते ही जल संकट से जूझने लगे जशपुर वनांचल के लोग
जशपुरनगर. जशपुर वनांचल क्षेत्र में गर्मी के मौसम के आते ही पेयजल का संकट गांव में शुरु हो गया है। जशपुर जिले के मनोरा और बगीचा ब्लॉक में सैकडों गांव लाल पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे में गांव के लोग कुछ हैंडपंप और कुएं से अपनी पानी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए विवश हो जाते हैं। कई गांव में 1 से 2 किलोमीटर तक पानी के लिए पैदल सफर करना पड़ता है। जिले के लोग यदि अभी से लोग जागरूक नहीं हुए तो पेयजल की भयंकर समस्या से सैकडों बसाहटों को जूझना पड़ेगा। अन्य जिलों की अपेक्षा जशपुर जिले मे पेयजल की समस्या हर वर्ष बढ़ती जा रही है। जिले के 978 बसाहटों में अत्यधिक लौह युक्त पानी की समस्या बरकरार है। इन गांवों मे पेयजल समस्या से निजात पाने के लिए योजना को अमली जामा पहना कर समस्या से निपटने के लिए सक्रिय हो गया है। जिले मे ऊंची नीची पहाडिय़ों में बसे होने के कारण 427 पंचायतों के 774 ग्राम के 4887 बसाहटों में 14125 हैंडपंप स्थापित कर पानी की आपूर्ति की जा रही है, जिसमे 13998 हैंडपंप चालू हालत में है। जिले के 978 बसाहटों में हैंडपंपों से लौह युक्त पानी निकलने के कारण पानी पीने योग्य नहीं है। पेय जल उपलब्ध कराने वाले विभागों की मानें तो जिले मे कोई पेयजल की संकट नहीं है। जिले मे प्रति 70 जनसंख्या की मान से 1 हैंडपंप खोदा गया है। इसी तरह जिले में 12 हजार से भी अधिक हैंडपंप की खुदाई की गई है। पेयजल के लिए सर्वाधिक प्रभावित जशपुर मनोरा ब्लाक के 80 एवं बगीचा के 201 पत्थलगांव 115 कांसाबेल में 69 फरसाबहार में 142 दुलदुला में 147 कुनकुरी में 105 टोले मजरे मे लौह युक्त पानी की समस्या है। इन ग्रामों में पेयजल वाले हैंडपंपों में सर्वेक्षण कर चिन्हित कर इन हैंडपंपों को अलग-अलग निशान लगाकर ग्रामीणों को इसके उपयोग करने की जानकारी दी जाती है। गांवों में पानी के लिए ग्रामीण कुएं झरने और प्राकृतिक स्त्रोतों के अलावा शुद्ध पेय जल के प्राकृतिक स्त्रोतों पर आश्रित हैं। पिछले तीन-चार वर्षों से जशपुर जिले में अत्यधिक गर्मी पडऩे के कारण पेयजल के साथ साथ निस्तारी जल की संकट से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को जूझना पड़ता है। भूजलस्तर तेजी से घट रहे हैं। अंधाधुंध वृक्षों की कटाई से वीरान होते जंगल पहाडिय़ों से यहां के प्राकृतिक जल स्त्रोत कुएंं ढोड़ी लबालब रहते थे, लेकिन प्रतिवर्ष जिले की जल स्तर बड़ी तेजी से घटने लगा है।
देखरेख के अभाव में बंद पड़े हैं कई हैंडपंप : पीएचई की ओर से आवश्यकता के मुताबिक हैंडपंप स्थापित कर दिया गया है, लेकिन उसके खराब होने पर मरम्मत नहीं की जाती है। इससे अच्छे हैंडपंप भी खराब हो रहे हैं। विभाग के द्वारा के्रड़ा के माध्यम से बगीचा विकासखंड के भडिय़ा, कलिया, सुकमा, खिखिरटोली, पटेलपारा, खेडार, कंचनडीह एवं पटकोना में सोलर हैंडपंपों की स्थापना करवाई गई थी। यह हैंडपंप भी देखरेख के आभाव में बंद हैं। कहीं हैंडपंप का गिर गए तो कहीं का सोलर प्लेट ही चोरी हो गए है।