इसकेलिए तस्कर फलदार या उपयोगी पेड़ों को भी नजरअंदाज कर देते हैं। क्षेत्र में विशेषकर नकद फसल के रूप में जाना-जाने वाला महुआ पेड़ की संख्या ज्यादा है। इससे किसान हर पेड़ों से प्रतिवर्ष 2-5 हजार रुपए कमा लेता है। वहीं महुआ से गरीबों के खाद्य-पदार्थ एवं इसी पेड़ से दूसरी फसल के रूप में मिलने वाले डोरी से तेल निकालते हैं। जो साग-सब्जी बनाने में उपयोग करने के साथ शरीर में लगाने का उपयोग भी करते हैं। जिससे बाजारों में मिलने वाले केमिकल उत्पादों की अपेक्षा इस तेल का उपयोग ग्रामीण ज्यादा करना पसंद करते हैं। इसके बावजुद इस बहुमूल्य पेड़ों को नजर अंदाज कर तस्कर काटने में नहीं हिचकते हैं।