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जशपुर नगर

जशपुर के बाद अब छत्तीसगढ़ के इन हिस्सों में भी होगी चाय की खेती, खाद्य मंत्री ने की घोषणा

जलवायु को देखते हुए चाय कॉफी की खेती से स्थानीय लोगों को होगा लाभ

जशपुर नगरAug 17, 2019 / 01:46 pm

Saurabh Tiwari

Tea cultivation to be done in Mainpat area of Surguja

जशपुर के बाद अब छत्तीसगढ़ के इन हिस्सों में भी होगी चाय की खेती, खाद्य मंत्री ने की घोषणा

जशपुरनगर. प्रदेश के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण, योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी, संस्कृति मंत्री तथा जिले के प्रभारी मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि जशपुर जिले में चाय की खेती की सफलता को देखते हुए इसे अब राज्य के अन्य जिलों में भी शुरू कराया जाएगा। 15 अगस्त को जशपुर नगर प्रवास के दौरान उन्होंने सारूडीह चाय बागान का अवलोकन किया और यहां चाय की खेती के लिए जिला प्रशासन एवं वन विभाग द्वारा किए गए प्रयास की सराहना की। इस अवसर पर विधायक, कलक्टर निलेश कुमार, पुलिस अधीक्षक शंकरलाल बघेल, वनमण्डलाधिकारी कृष्ण जाधव एवं अन्य जनप्रतिनिधिगण उपस्थित थे।
प्रभारी मंत्री भगत ने कहा जशपुर जिले की जलवायु सरगुजा मैनपाट इलाके जैसी है। उन्होंने जशपुर की तर्ज पर सरगुजा मैनपाट इलाके में भी चाय की खेती शुरू कराए जाने की बात कही। प्रभारी मंत्री ने कहा कि चाय की खेती जशपुर जिले की पहचान बनती जा रही है। उन्होंने कलक्टर निलेश कुमार क्षीरसागर तथा वनमंडलाध्किारी कृष्ण जाधव को यहां के विशेषज्ञ अधिकारियों की टीम को सरगुजा एवं मैनपाट इलाके में भेजकर वहां चाय बागान के लिए उपयुक्त भूमि एवं हितग्राहियों का चयन करने तथा इसके लिए आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करने के निर्देश दिए।

अब जशपुर में कॉफी की खेती की पहल : प्रभारी मंत्री भगत ने सारूडीह में चाय की खेती कर रहे स्व-सहायता समूह की सदस्य महिलाओं से भी मुलाकात की और चाय की पैदावार इसकी प्रोसेसिंग के बारे में भी जानकारी ली। उन्होंने वनमंडलाधिकारी को चाय के साथ ही जशपुर में कॉफी की खेती के लिए भी आवश्यक पहल करने की बात कही। प्रभारी मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जशपुर जिले में चाय की सफल खेती को देखते हुए सरगुजा से लेकर दंतेवाड़ा तक इसको विस्तारित करने की सहमति दी है। उन्होंने इसके लिए राज्य शासन की ओर इर सम्भव मदद देने की भी बात कही है।
जशपुर में प्रतिदिन 250 किलो चाय का उत्पादन : सारूडीह में 20 एकडत्र रकबे में चाय की खेती सारूडीह स्व-सहायता समूह द्वारा की जा रही है। समूह में कुल 18 सदस्य है। इन्हीं सदस्यों की निजी भूमि पर चाय बागान विकसित किया गया है। अभी वन विभाग द्वारा मनोरा के कांटाबेल गांव में 40 एकड़ रकबे में चाय बागान तैयार किया जा रहा है।

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