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जशपुर नगर

विभाग की लापरवाही से आक्सीजोन में चारों तरफ दिख रही सिर्फ खरपतवार

तामझाम व प्रचार प्रसार के साथ शहर को आक्सीजोन के रूप में विकसित करने हुआ था पौधरोपण

जशपुर नगरApr 30, 2019 / 01:21 pm

Murari Soni

The only weed that is visible around the axis of the department is neg

विभाग की लापरवाही से आक्सीजोन में चारों तरफ दिख रही सिर्फ खरपतवार

जशपुरनगर. जशपुर को आक्सीजोन बनाने का सपना एक सपना ही बनकर रह गया है। शासन प्रशासन के द्वारा हर वर्ष पूरे तामझाम के साथ बड़ी संख्या में वृक्षारोपण कर शहर को हरा भरा रखने का संदेश दिया दिया जाता है, लेकिन यह संदेश सिर्फ वृक्षारोपण करने तक ही रहता है। एक बार बड़ी सं या में वृक्षारोपण कर दिए जाने के बाद उस ओर फिर किसी का ध्यान ही नहीं जाता कि उनके द्वारा किया गया वृक्षारोपण के बाद उन पौधों की स्थिति क्या है, लगाए गए पौधे हरे भरे हो रहे हैं या फिर मवेशियों के निवाला बन रहे है इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।
जिला मुख्यालय में प्रशासन के द्वारा एनएच ४३ के किनारे बड़े तामझाम और प्रचार प्रसार के साथ शहर को आक्सीजोन के रूप में विकसित करने के लिए वृक्षारोपण किया गया था, लेकिन अब उन दोनो स्थानों में प्रशासन के देखरेख के आभाव में सिर्फ खरपतवार ही बचे हैं। इसके साथ ही आक्सीजोन के रुप में तैयार किए गए जंगल अब आगजनी का शिकार भी हो चुका है। आग लगने के कारण यहां छोटे पौधे आग की चपेट में आकर नष्ट हो गए है। जंगल और पर्यावरण को बचाने के लिए केंद्र और राज्य दोनों ही शासन की ओर से बातें तो बहुत की जाती है। लेकिन इन नाकाफी कोशिशों की जमीनी हकीकत कुछ और है।
यहां तक कि वन विभाग का स्मृति वन भी अवैध कटाई से बच नहीं पाया। पहले से ही सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं होने के कारण यह वन उजाड़ हो चुका है। अब यह स्मृति वन मवेशियों का चारागाह बन चुका है। इससे विभाग द्वारा पर्यावरण संरक्षण को लेकर किए जा रहे प्रयासों पर भी सवाल उठने लगे हैं। करीब पांच साल पहले शहर से लगे डोडक़ाचौरा में वन विभाग द्वारा स्मृति वन बनाया गया था। जहां लोगों ने अपने पूर्वजों की याद में पौधे लगाए थे, जिसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी वन विभाग की थी। पौधे लगने के बाद एवं पहले से जो यहां पेड़ थे,उसकी धड़ल्ले से अवैध कटाई की गई। जिस पर विभाग ने कोई ध्यान नहीं दिया। अब हालत यह है कि यह स्मृति वन मवेशियों का चारागाह बन चुका है। इसी तरह जशपुर से रांची जाने वाले मार्ग में जशपुर के स्वागत गेट एनएच 43 के पास घेरा पहाड़, टेढ़ा पहाड़, स्मृति वन सहित बरटोली और सारूडीह क्षेत्र के जंगल में लगे साल जैसे पेड़ों को ग्रामीण काट चुके हैं।

विभाग के कर्मचारी नहीं दे रहे ध्यान : वनों की सुरक्षा के लिए तैनात रेंजर और बीट गार्ड पर इस मामले को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। रेंजर और बीट गार्ड की मौजूदगी होने के बावजूद शहरी क्षेत्रों के नजदीक के जंगलों में पेड़ों की जगह ठूंठ क्यों है,लकड़ी तस्कर इमारती लकड़ी देने वाले पेड़ों को निशाना बनाकर अंधाधूंध कट चुके हैं। वन सुरक्षा में तैनात वन अमला को इसकी जानकारी होने के बावजूद अनजान बना हुआ है।
स्मृति वन बन चुका है शराबखोरी का अड्डा : शहर के एनएच से लगे हुआ वन विभाग का स्मृती वन की दुदर्शा पूरी तरह से खराब हो गई है। पूर्व में इसे ठीक से संरक्षित नहीं किए जाने के कारण यहां लगाए गए पौधों को मवेशियों ने अपना चारा बना लिया। उजड़ते हुए स्मृति वन को बचाने के लिए विभाग के द्वारा स्मृति वन के चारो ओर तार बांध कर उसे मवेशियों से संरक्षित करने का उपाए किया गया है। मवेशियों से संरक्षित करने के उपाए के बाद अब यह शराबीयों के लिए एक अनुकूल स्थान के रूप में उभर गया है। शराब पीने का शौक रखने वाले लोग तार के घेरा को पार कर स्मृति वन के अंदर आसानी से प्रवेश कर जाते हैं और इस स्थान को अब शराबखोरी के लिए उपयोग करना शुरू कर दिए हैं। स्मृति वन की स्थिती यह है कि यहां जगह-जगह शराब की टुटी फूटी बोतले और डिस्पोजल गिलास ही नजर आ रहा है।

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