तीन साल बाद भी अंधेरे में डूबा हुआ है गौरव पथ, फुटपाथ का निर्माण लटका
लेटलतीफी: दिल्ली की कंपनी कब आएगी बल्ब लगाने किसी को नहीं मालूम
तीन साल बाद भी अंधेरे में डूबा हुआ है गौरव पथ, फुटपाथ का निर्माण लटका
जशपुरनगर. जिला मुख्यालय में बनने वाला गौरव पथ अब लोगों के लिए सफेद हाथी साबित हो रहा है। कई बार विवादों में आने के बावजूद भी अभी तक गौरव पथ का निर्माण कार्य पूर्ण रूप से पूरा नहीं हो सका है। गौरव पथ के लिए सड़क निर्माण और सड़क में डिवाईडर का काम तो पूरा कर लिया गया है, लेकिन अभी तक गौरव पथ में स्ट्रीट लाईट नहीं लग पाई है। जिसके कारण करोड़ो की लागत से बना गौरव पथ रात को अंधेरे के साये में रहता है।
जिला मुख्यालय में तीन वर्ष पहले शुरू हुआ 3 किमी लंबे उन्नत गौरवपथ का निर्माण कार्य अब तक पूरा नहीं हो पाया। तीन किलोमीटर लंबा गौरव पथ के कार्य को आधा अधूरा कर छोड़ दिया गया है। वहीं गौरवपथ की ड्राइंग डिजाइन भी नगर पालिका के द्वारा अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, जिसके कारण लोगों को अब तक यह नहीं मालूम चल सका है कि गौरव पथ में क्या क्या निर्माण होना था एवं क्या क्या लगाया जाना था। शहर के अंदर उन्नत गौरवपथ के निर्माण में ठेकेदार ने खुलकर मनमानी की है। गौरवपथ का निर्माण पूरे ढ़ाई साल तक शहरवासियों के लिए सिरदर्द बना रहा। निर्माण की शुरुआत में ही घटिया निर्माण के कारण ठेकेदार को नगरपालिका ने नोटिस दिया था, इसके बाद सुस्त चाल से काम चलता रहा।
सड़क के डामरीकरण व सड़क के बीच डिवाइडर लगाए जाने का काम पूरा हो चुका है उसके बाद भी अभी भी कुछ काम बचे हुए हैं। बताया जाता है कि सड़क के दोनों किनारों पर लोगों के पैदल चलने के लिए फुटपाथ बनाया जाना था, लेकिन इसके बदले में जहां सड़क किनारे खाली जगह बची है, वहां पर पेवर ब्लॉक चिपकाकर काम निपटा दिया गया है। वहीं सड़क के डिवाइडर के बीच स्ट्रीट लाइट लगाने का काम भी बचा हुआ है।
दो बार के प्रस्ताव में बढ़ गई थी लागत राशि
2016 में शहर में नए गौरवपथ को लेकर नगरपालिका के द्वारा प्रपोजल तैयार कर टेंडर जारी किया था। उस वक्त महाराजा चौक से गम्हरिया प्रवेश द्वारा तक 3.6 किलोमीटर की सड़क की लागत नगरपालिका ने 6 करोड़ 1 लाख रुपए तय की थी। ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया में शहर की निर्माण एजेंसी ने सबसे कम में टेंडर भरा और काम ले लिया। 6 करोड़ 1 लाख की लागत से बनने वाले गौरवपथ का काम बिलो में 5 करोड़ 47 लाख में दिया गया। काम शुरू हुआ और व्यवधान आने शुरू हो गए। पूर्व में महाराजा चौक से लेकर गम्हरिया प्रवेश द्वार तक की सड़क की चौड़ाई 9 मीटर तय की गई थी। इसके बाद नागरिकों ने डिवाइडरयुक्त सड़क की मांग उठानी शुरू कर दी थी। इस बीच धीमी गति से महाराजा चौक से लेकर रणजीता स्टेडियम चौक तक काम भी चलता रहा। बाद में नागरिकों की मांग पर डिवाइडयुक्त गौरवपथ का निर्माण को मंजूरी मिली। मंजूरी मिलने के बाद गौरव पथ में डिवाइडर भी बना दिया गया है।
लग गया पोल, लेकिन नहीं लगा बल्ब
गौरव पथ के लिए 2017 में नया प्रपोजल नगरपालिका ने तैयार किया। नए प्रपोजल में रणजीता स्टेडियम तिराहे से लेकर गम्हरिया प्रवेश द्वार तक डिवाइडर लगाने और सड़क की चौड़ाई 15 मीटर करने के साथ सड़क के बीच डिवाइडरों में स्ट्रीट लाइट व फुटपाथ को भी शामिल किया गया। नए प्रपोजल में गौरवपथ की लागत नगरपालिका ने 8 करोड़ 65 लाख का था और उसी निर्माण एजेंसी को आगे का काम फिर से दे दिया गया। प्रपोजल में गौरव पथ में स्ट्रीट लाइट को शामिल किए जाने के बाद गौरव पथ में लाईट की व्यवस्था करने के लिए ठेकेदार के द्वारा गौरव पथ में लाईट लगाने के लिए पोल तो लगा दिया है, लेकिन अब तक उस पोल में लाईट नहीं लग पाई है। जिसके कारण रात होते ही पूरा गौरव पथ अंधेरे में समा जाता है। बताया जाता है कि गौरव पथ में लाईट लगाने के लिए दिल्ली की ईएसएल कंपनी को ठेका दिया गया है और दिल्ली की ही कंपनी यहां आकर लाईट लगाने का काम पूरा करेगी, लेकिन यह किसी को नहीं मालूम है कि दिल्ली की कंपनी लाईट लगाने के लिए कब आएगी और शहर का गौरव पथ कब रोशन हो सकेगा।
&गौरव पथ में लाईट लगाने के लिए पोल लगाने का काम ठेकेदार के द्वारा पूर्ण कर दिया गया है। पं. दीनदयाल योजना के अंतर्गत दिल्ली की कंपनी के द्वारा लाईट लगाने का काम किया जाना शेष है। दिल्ली के कंपनी के द्वारा लाईट लगाने का पूरा कर लेने के बाद गौरव पथ का निर्माण कार्य पूर्ण हो जाएगा।
बसंत बुनकर, सीएमएचओ नगर पालिका
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