अस्पताल में ड्रेसर का काम कर रहे स्वीपर : जिला अस्पताल में एक ड्रेसर पदस्थ हैं। बताया जाता है कि उन्हे दवाइयों के भंडार का प्रभार सौंपा गया है और वे उसी में व्यस्त रहते हैं। जबकि जिला अस्पताल में ड्रेसर का काम स्वीपर से लिया जा रहा है। कर्मचारियों की कमी से पूरे जिला अस्पताल की व्यवस्था अस्त-व्यस्त है। पर शासन यहां कर्मचारियों की नियुक्ति या पदोन्नति पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। इसके पूर्व जिला अस्पताल में एक ड्रेसर मौजूद था जिसके मौत हो जाने के बाद यहां ड्रेसिंग का काम यहां पदस्थ स्वीपर के द्वारा ही किया जाता है। जिसके कारण यदि लोगों को छोटी मोटे चोटो में भी ड्रेसिंग करवाने की आवश्यक्ता पड़ती है तो उन्हें में ओटी में ही जाना पड़ता है। जबकी ओटी का उपयोग दुर्घटनाग्रस्त मरीज के आने पर एवं माईनर आपरेशन के समय किया जाता है, लेकिन यहां के जिला अस्पताल में ओटी में ही ड्रेसिंग का काम कर दिया जाता है।
वार्ड ब्वाय का काम कर रहे नर्स व अन्य कर्मचारी : जिला अस्पताल का सेटअप काफी पुराना है। कहने को तो यह 100 बिस्तरों का अस्पताल है, पर वार्ड बढऩे के कारण यहां करीब 130 बेड हैं। आज की स्थिति में जिला अस्पताल में महिलाए पुरुष वार्डों के अलावा बुजुर्ग वार्ड, मेटरनिटी वार्ड, आईसीयू, आईसीसीयू, पोषण एवं पुनर्वास केंद्र संचालित हैं। इस अस्पताल में प्राय: 80-90 मरीज भर्ती रहते हैं। वार्डों में स्टोर से सामान निकालकर देना, मरीजों को लाकर बेड में शिफ्ट करनाए वार्ड की सफाई पर ध्यान रखना जैसे महत्वपूर्ण कार्य वार्ड ब्वाय को करने होते हैं। एक भी वार्ड ब्वाय होने के कारण इन कार्यों में काफी परेशानी हो रही है। यह काम नर्सों व अन्य कर्मचारियों को ही करना पड़ रहा है।
वैकल्पिक व्यवस्था के तहत जीवन दीप समिति के माध्यम से नियुक्त कर्मचारियों से वार्ड ब्वाय का काम लिया जा रहा है। जिससे अस्पताल का काम प्रभावित नहीं हो रहा है। नियुक्ति का मामला शासन स्तर का है। रिक्त पदों की जानकारी समय-समय पर शासन को भेजी जाती है।
डॉ. अनुरंजन टोप्पो, आरएमओ, जिला अस्पताल जशपुर