याचिका में कहा गया है कि सुशांत सिंह राजपूत के बिहारी तथा हिंदी भाषी प्रांत का होने के कारण आरोपी उनसे अंदरूनी विद्वेष और नफरत रखते रहे। सार्वजनिक समारोह में अपना नाम बताने पर उन्हें यह कहकर अपमानित किया गया किया कि यह नाम नहीं बल्कि पूरा एड्रेस है। उनकी कई फिल्में हिट होने के कारण वर्तमान में वह शीर्ष पर चल रहे थे। आरोपियों ने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर सुशांत की 6-7 फिल्में छीन लीं। रामलीला व बेफिक्रे फिल्म में सुशांत की जगह रणवीर सिंह को हीरो रखवाया गया। सुशांत की फिल्म ड्राइव ओपन थियेटर में रिलीज होने के पहले उसे नेटफ्लिक्स पर रिलीज करा दिया गया। आरोपियों ने सुशांत को इस कदर परेशान किया और आत्महत्या के लिए उकसाया कि उनके पास दूसरा रास्ता नहीं रह गया। उन्हें बहुत अपमानित एवं प्रताड़ित किया गया जिससे सुशांत ने अपने फ्लैट में आत्महत्या कर लिया।
वादी ने सोशल प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सुशांत को प्रताड़ित करने, दुष्प्रेरण करने के साक्ष्य देखा, सुना व पढ़ा। इंडस्ट्री को गहराई से जानने वालों के स्टेटमेंट भी वादी ने देखा। वादी के अलावा बृजेश सिंह, सिद्धार्थ सिंह, विवेक रंजन तिवारी, अवनीश दुबे, मान सिंह, सूर्या सिंह आदि ने भी मीडिया में इन बातों को देखा सुना व पढ़ा। सुशांत की मृत्यु के बाद उनके पिता ने भी कहा कि सुशांत बताते थे कि इन दिनों वह काफी टेंशन में हैं। आरोपी व अन्य निर्माता निर्देशक सुशांत का बहिष्कार कर रखे थे, उनकी फिल्म रिलीज नहीं होने देते थे। वे नहीं चाहते थे कि बिहार का उभरता हुआ सितारा उन्हें पीछे छोड़ कर आगे जाए। इसीलिए सुशांत को इतनी प्रताड़ना दी गई कि वह आत्महत्या करने को मजबूर हो गया। वादी ने कोर्ट से आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।