मुख्यमंत्री ने उन्हें भविष्य के भारत का पथ प्रदर्शक बताते हुए कहा कि वह एक हजार वर्ष बाद के भारत की प्रतिमूर्ति हैं। लक्ष्य की पूर्ति के लिए विकास की जितनी ऊंचाइयों को छूना चाहिए था, हम आज भी उस से वंचित हैं। उन्होंने विकास में युवाओं की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया व कहा कि प्रदेश में पिछले नौ महीने के दौरान छह लाख नौजवानों को स्किल डेवलपमेंट के तहत प्रशिक्षित किया गया है। प्रशिक्षितों के इस दल को एक मंच देने के लिए हमारी सरकार ने वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट देने का फैसला किया है। प्रदेश में स्किल डेवलपमेंट पर बड़े पैमाने पर कार्य हो रहा है। आज का युवा विकास के बारे में अपनी सोच रखता है। सूबे के मुखिया ने युवाओं को अपनी परंपराएं जीवंत बनाए रखने की सीख देते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद ने एक बात कही थी कि जिस दिन कोई व्यक्ति अपनी परंपरा का निर्वहन करने की बजाय लज्जा में डूब जाए तो उसकी प्रगति रूक जाती है। उन्होंने किसान एवं कृषि की चर्चा करते हुए कहा कि अगर प्रदेश के 22 करोड़ लोगों के चेहरे पर खुशी लानी है तो सबसे पहले किसानों को खुशहाल करना होगा। जिस तरह से हम अपने शरीर की जांच कराते रहते हैं, बीमारी होने पर उपचार कराते हैं। उसी तरह मिट्टी के स्वास्थ्य की भी जांच कराई जानी चाहिए। अंधाधुंध रसायनों के प्रयोग से उर्वरा
शक्ति घटती जा रही है। इसलिए अब आवश्यक हो गया है कि हर कालेज और गांव में मृदा परीक्षण प्रयोशाला लगाई जाए। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय और कॉलेज सिर्फ डिग्री बांटने का केंद्र ना बनें। युवाओं को
रोजगार परक शिक्षा और गुणवत्ता का समायोजन होना चाहिए। इसके बाद ही युवाओं को रोजगार हासिल होगा।
इसके पूर्व विश्वविद्यालय के छात्राओं ने कुलगीत प्रस्तुत किया। तत्पश्चात कुलपति प्रो. राजाराम यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय में इसके पूर्व प्रवचन का आयोजन किया गया था। इसकी प्रेरणा मुख्यमंत्री से ही मिली। आज उन्होंनेे स्वयं विश्वविद्यालय के आंगन में आकर हमें धन्य कर दिया। कार्यक्रम का संचालन जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डा. मनोज मिश्र ने किया। मंच पर मंत्री गिरीशचंद्र यादव, सांसद केपी सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष सुशील उपाध्याय, विधायक लीना तिवारी, दिनेशचंद्र चैधरी, रमेशचंद्र मिश्रा, पूर्व विधायक सीमा द्विवेदी आदि उपस्थित रहे।