उनके अनुसार, वह अपने सात सदस्यों वाले परिवार में किसी प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली पहली महिला होंगी।अंशिका के पिता एक छोटे से जनरल स्टोर में काम करते हैं और उनकी मां एक दर्जी हैं। 2015 में विद्याज्ञान में शामिल होने के बाद उसके जीवन में आमूलचूल परिवर्तन आया। स्कूल मेधावी, वंचित छात्रों को मुफ्त विश्व स्तरीय, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करता है। उनके शिक्षकों और प्राचार्यों ने उन्हें हर कदम पर प्रेरित और प्रोत्साहित किया। वह अपने करियर के लिए बहुत सारे विकल्पों और अपने व्यक्तित्व के हर पहलू का पता लगाने के अवसरों को हमेशा ही तलाशती रहती थीं।
बहुत कम उम्र में ही उसने आर्थिक कठिनाइयों को समझ लिया अंशिका ने कहा कि वह अपनी मां से प्रेरणा लेती हैं जो घर के काम के साथ-साथ अपने गांव की महिलाओं को बुनियादी सिलाई कौशल सिखाती हैं, ताकि उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने में मदद मिल सके, बहुत कम उम्र में ही उसने आर्थिक कठिनाइयों को समझ लिया था। अपनी मां से, उन्होंने महिला-उद्यमिता का एक छोटा उदाहरण देखा है और महसूस किया कि महिलाओं का वित्तीय सशक्तिकरण न केवल पारिवारिक स्तर पर परिवर्तन लाता है,
बल्कि समाज और देश के स्तर पर बड़े परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। इस बारे में बात करते हुए अंशिका ने कहा, इसी ने मुझे उद्यमी अर्थशास्त्र में विशेष रुचि के साथ अर्थशास्त्र का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया। मैं एक अर्थशास्त्री बनना चाहती हूं ताकि मैं समाज में मौजूद विभिन्न वित्तीय समस्याओं के समाधान पर काम करके योगदान दे सकूं। अंशिका गुरुवार को अमेरिका के लिए रवाना होंगी।