पिता का आरोप है कि, एक सप्ताह पूर्व प्रसव के बाद नवजात बच्ची को कस्बे में चल रहे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। महंगा उपचार देख उसने चिकत्सक से बेटी को सरकारी अस्पताल में रेफर करने के लिए कहा, लेकिन उसने साफ इंकार कर दिया। धीरे-धीरे कर अस्पताल प्रशासन ने गरीब अशोक से करीब 25 हजार रूपये चूस लिए। रूपये खत्म हुए तो उसने चिकित्सक से उपचार रोक बेटी ले जाने की बात कही। इस पर जवाब मिला कि, अभी और रूपये बकाया हैं, पहले चुकाओ फिर बेटी मिलेगी।
पिता ने असमर्थता जताई तो एक और जवाब मिला कि, अस्पताल की ओर से 20 हजार रूपये ले जाओ और बच्ची यहीं छोड़ दो। ये बात सुनते ही पिता का कलेजा मुंह को आ गया। लाख गुहार लगाई लेकिन बच्ची उसे नहीं सौंपी गई। हार कर वो सीधे कोतवाली पहुंच गया।
रूंधे गले से बेटी को दिलाने की विनती की तो पुलिस वालों का दिल पसीज गया। कोतवाल राजेश कुमार सिंह ने तत्काल दो सिपाहियों को भेज कर चिकित्सकों के चंगुल से नवजात को मुक्त कराया। उन्होंने बताया कि, बच्ची को पिता के सुपुर्द कर दिया गया है। वहीं अस्पताल प्रशासन ने सफाई दी है कि, उपचार के नाम पर सिर्फ आठ हजार रूपये ही लिए गए हैं। आरोप बेबुनियाद है।