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धूल फांक रहा है शीराजे हिंद जौनपुर

locationजौनपुरPublished: Feb 23, 2016 06:41:00 pm

Submitted by:

Ashish Shukla

यहां भी खुदा है, वहां भी खुदा है, बाकी जगह काम लगा है

जौनपुर. शहर में विकास की बयार ऐसी चली कि आधे से ज्यादा शहर खोद कर छोड़ दिया गया। नगर की कोई ऐसी गली या चैराहा नहीं बचा जहां प्रशासन ने तोड़फोड़ न की हो। तोड़फोड़ के बाद कई ऐसे रास्ते भी हैं जहां से गुजरने के लिए लोगों को अपनी जान हथेली पर रखना पड़ती है। प्रशासन ने शहर को तोड़ने में तेजी तो दिखाई लेकिन तोड़ी गई जगह की मरम्मत करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिख रही है।

शीराजे हिंद जौनपुर। कभी अपनी शानौ शौकत के लिए जाना जाने वाला शहर आज धूल फांक रहा है। जिधर देखिए प्रशासन का बुलडोजर गरजकर किसी भवन को गिराते या किसी सड़क की ऐसी तैसी करता नजर आता है। दरअसल एक साल पहले तत्कालीन जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने शहर की सूरत बदलने की शुरूआत की थी। शहर भर से अतिक्रमण हटाया गया। जितनी तेजी से अतिक्रमण हटा उसी तेजी से उसका कायाकल्प भी किया गया। लेकिन अपनी योजना को अमली जामा पहनाने से पहले उनका तबादला आजमगढ़ हो गया।

जिले की कमान भानुचंद्र गोस्वामी ने संभाली तो अतिक्रमण हटाने के काम ने अप्रत्याशित रूप से तेजी पकड़ ली। शहर की ऐसी ऐसी जगह को खाली कराया गया जिसका लोगों ने तसव्वुर भी नहीं किया था। लेकिन इसका स्याह पहलू ये रहा कि खाली जगहों पर निर्माण कराया नहीं कराया जा सका। हाल ये है कि कुत्तूपुर तिराहे से अहमद खां मंडी और बदलापुर पड़ाव से कचहरी रोड तक, चारों दिशाओं में सिर्फ मलबा दिखाई दे रहा है। दिन में सड़कों पर गाड़ियां दौड़ती हैं तो पैदल आने जाने वाले धूल फांकते रहते हैं।

मछलीशहर पड़ाव पर पूरा रास्ता खोद दिया गया है लेकिन निर्माण नहीं हो पाया। जौनपुर का हजरतगंज बन चुके बदलापुर पड़ाव पर तो रास्ता ही खत्म हो गया। लोग जान जोखिम में डालकर आने जाने को मजबूर हैं। हार्ट आॅफ द सिटी कहे जाने वाले चहारसू चैराहे पर तो लोग नरकीय जीवन जी रहे हैं। यहां भी दिनो रात धूल उड़ती रहती है। ये भी जायज है कि विकास के लिए तकलीफ तो उठानी पड़ेगी। लेकिन इस तकलीफ की मियाद क्या है ये बताने वाला भी कोई नहीं है।
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