पिछले विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक नदीम जावेद को हार का सामना करना पड़ा हो लेकिन एक बात काफी गौर करने वाली रही, उनकी पत्नी असमा की सक्रियता। राजनीतिक जानकारांे की मानें तो नदीम जावेद इस चुनाव में हस्तक्षेप जरूर करेंगे और इसका सीधा संकेत अपनी पत्नी को चुनावी मैदान में उतार कर दे सकते हैं। जहां एक ओर माया टंडन को दिनेश टंडन के तीन बार चेयरमैन रहने का लाभ मिलेगा वहीं असमा को नदीम जावेद की लोकप्रियता का फायदा मिलने के पूरे आसार हैं।
इसके अलावा भी कई महिला राजनेता चुनावी ताल ठोंकती नजर आएंगी। एक बात और साफ हो चुकी है कि इस बार नगर क्षेत्र के विकास की कमान भी महिला के ही हाथ मंे होगी। इसके अलावा शाहगंज को पिछड़ा महिला सीट घोषित किया गया है। इससे वहां की राजनीतिक समीकरण भी काफी हद तक प्रभावित होंगे। मुुंगराबादशाहपुर में भी पिछड़ा वर्ग का उम्मीदवार चुनाव लड़ता देखा जाएगा। यहां भी सीट आरक्षित रहेगी।