मामला जौनपुर जिले के खुटहन ब्लाॅक के उसरौली गांव का है। गांव निवासी पूर्व जिला पंचायत सदस्य सुभाष यादव ‘सरगम’ ने इस बार पंचायत चुनाव में फिर से उतरने का न सिर्फ मन बनाया बल्कि काफी पहले से तैयारी भी शुरू कर दी। पर आरक्षण ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया। वह वार्ड नंबर 17 से लड़ने की तैयारी में थे, लेकिन जब दूसरी बार फाइनल आरक्षण लिस्ट आई तो उनका वार्ड पिछड़ी जाती महिला के लिये रिजर्व हो गया।
सुभाष यादव के सामने समस्या ये थी कि उनकी माता जी सालों पहले स्वर्ग सिधार चुकी हैं तो पत्नी आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री हैं। घर में कोई महिला नहीं थी जिसे चुनाव लड़ाया जा सके।
पर चुनाव मैदान में तो हर हाल में कूदना था। पहले इस बात पर विचार हुआ कि पत्नी को ही नौकरी छुड़वाकर चुनाव लड़ाया जाए, लेकिन फिर यह तय हुआ कि बेटे की तत्काल शादी कर बहु को चुनाव लड़ाया जाय। पर जब इस बाबत पुरोहितों से बात की तो खरमास के चलते उन्होंने धार्मिक दृष्टि से इसे उचित नहीं बताया।
पर शादी तो होनी ही थी और जब यह तय हो गया तो आनन-फानन में पड़ोसी के गांव कपसिया के रामचंद्र यादव अनुरागी की बेटी अंकिता यादव से शादी तय हुई। 31 मार्च को एक मंदिर में दोनों का विवाह हुआ। नई-नवेली दुल्हन अंकिता यादव का रविवार को नामांकन हुआ और बसपा ने उन्हें अधिकृत उम्मीदवार भी घोषित कर दिया।
By Javed Ahmad