थाना क्षेत्र के मलाई गांव के गुलाब तिवारी बीते एक साल से रोजीरोटी के सिलसिले में शहर मुबंई रहते हैं। छः माह पूर्व उनकी बेटी के साथ किसी मनचले ने छेड़खानी कर दी। उनके बेटे कक्षा 8 के छात्र अंकुश तिवारी ने गांव के प्रधान के साथ थाने गया और तहरीर देकर चला आया। आरोप है कि पुलिस ने मनचले पर कारवाई करने के बजाय छात्र एवं उसके पिता पर ही कार्रवाई करते हुए शांतिभंग में चालान कर दिया। मड़ियाहू एसडीएम कोर्ट ने नोटिस भेज कर आरोपियों को तामिला कराने का पुलिस को आदेश दिया।
पुलिस जब नोटिस तामीला के लिए घर पहुंची तो अंकुश को नाबालिग देख उसके होश उड़ गए। अपनी गर्दन बचाने के लिए परिवार में बिना कुछ बताएं वापस चली आई। हफ्ते भर पूर्व कोर्ट ने पुनः जमानती नोटिस भेज कर आरोपियो को बुलाया। नोटिस पुलिस लेकर सीधे आरोपियों के घर पहुंच कर नाबालिग छात्र को जमानत कराने के लिए धमकाने लगी। पुलिस की डर से नाबालिग आरोपी ग्राम प्रधान सिद्ध नारायण सरोज व बीडीसी अयोध्या दुबे को लेकर गुरुवार को तहसील आया। अधिवक्ता अभयराज सिंह ने नाबालिग को देखते ही उसकी उम्र के सर्टिफिकेट की मांग किया।
जिसमें उसकी उम्र महज 13 वर्ष थी। जिसके कारण उन्होंने जमानत नहीं करवाने की बात बताते हुए बार-बार नाबालिग के खिलाफ नोटिस भेजने को लेकर एसडीएम कोर्ट में जम कर हंगामा मचाया। एसडीएम के कोर्ट में नहीं होने के कारण वकील ने बिना जमानत के नाबालिग को छोड़ने और पुलिस के खिलाफ कारवाई करने की तहरीर दी। सीओ रामभवन यादव ने बताया कि पुलिस ने ऐसा किया तो यह गलत है। सभी थानेदारों को निर्देश है कि नाबालिग, सीनियर सिटिजन, अधिवक्ता को बिना पर्याप्त कारण शांतिभंग में चालान नहीं करना चाहिए।
by Javed Ahmad