ऐसे ही नकारात्मक सवाल मन में उठने के कारण कई प्रसूताएं घर पर ही प्रसव कराने की ठान लेती हैं। ऐसे में जच्चा बच्चा की जान असुरक्षित रहती है। इसी को देखते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने फैसला लिया है कि अब गर्भवती प्रसव के समय अपनी किसी घर की महिला या रिश्तेदार को प्रसव कक्ष में ले जा सकती है। प्रदेश सरकार की ओर से संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया गया है।
प्रसव के समय गर्भवती को पीड़ा और घबराहट का सामना करना पड़ता है, जिसकी वजह से बहुत सी प्रसूताएं घर पर ही प्रसव कराना चाहती है, जहां उनका कोई अपना उनके साथ रहता है। प्रसव के दौरान कौन साथ रहेगा इसकी जानकारी गर्भवती महिला को पहले से ही स्वास्थ्य कर्मियों को देनी होगी। उसका नाम और फोन नंबर प्रसूता को जांच के समय ही एएनएम के पास दर्ज कराना होगा। बर्थ कंपेनियन को प्रसव पूर्व की सभी जांचों के दौरान मौजूद रहना होगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2002 में ही बर्थ कंपेनियन को मातृ एवं शिशु के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए जरूरी माना था। दुनिया भर में यह पाया गया कि बर्थ कंपेनियन की मौजूदगी प्रसव के दौरान प्रसूता के स्वास्थ्य में सकारात्मक मदद करती है, जिससे उनके हार्मोन्स सुचारु रूप से चलते हैं। इस प्रयोग से प्रसव का समय कम हो जाता है और सामान्य प्रसव होने की ज्यादा संभावना रहती है।
बर्थ कंपेनियन में महिला रिश्तेदार हो, उचित होगा कि उसका पहले प्रसव हो चुका हो। वह किसी संक्रमित रोग से ग्रसित न हो। उसने साफ सुथरे कपड़े पहने हों।-उसे गर्भवती महिला के प्रसव के पूरे समय तक मौजूद रहना होगा। उसे दूसरी महिलाओं के प्रसव में हस्तक्षेप नहीं करना है।
By- जावेद अहमद