जावेद अहमदजौनपुर. मुफ्त सस्ते और सुलभ इलाज के दावों और हकीकत में कितना फासला है यह जौनपुर जिला अस्पताल में सोमवार की रात देखने को मिला। यहां टीबी का मरीज एक किशोर इलाज के अभाव में अस्पताल के फर्श पर एड़ियां रगड़-रगड़कर मर गया। हालत ज्यादा खराब होने पर मां-बाप इस उम्मीद में लाए थे कि अस्पताल में उनके जिगर का टुकड़ा बचा लिया जाएगा। पर वहां पहुंचकर न सिर्फ उनकी उम्मीद टूटी, बल्कि दुनिया ही लुट गयी। डॉक्टर ने कहा इसे टीबी है और दुत्कार दिया, मां-बाप गिड़गिड़ाए तो बाहर फर्श पर लेटाकर पल्ला झाड़ लिया। घरवाले कभी फर्श पर तड़पते किशोर को देख रहे थे तो कभी दरवाजे पर डॉक्टर की राह। डॉक्टर तो नहीं आए लेकिन किशोर को मौत जरूर आ गयी। परिजन ने कुछ देर हंगामा भी किया, पर जो तड़पते मरीज के लिये नहीं आए वो हंगामे को भला क्या तवज्जो देते। मजबूर मां-बाप आंखों में आंसू और गोद में बेटे की लाश लेकर चले गए।
patient died without Treatment” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2019/03/12/vlcsnap-2019-03-12-16h00m29s129_4268286-m.jpg”> अगर आपको टीबी की बीमारी है और सरकारी अस्पताल के भरोसे हैं तो संभल जाइये। पता कर लीजिये, कहीं अस्पताल सिर्फ नाम का तो नहीं, वहां इलाज के लिये जरूरी सहूलियतें मुहैया हैं भी या नहीं। इमरजेंसी के लिये पूरा इंतजाम मौजूद हे या नहीं। वरना क्या हो सकता है इसकी बानगी जौनपुर जिला अस्पताल की सोमवार रात की घटना है। शहर कोतवाली अन्तर्गत भंडारी मोहल्ला निवासी अरविंद साहू की मानें तो वह अपने बेटे का इलाज कराने जिला अस्पताल गए थे। जब पता चला कि उसे टीबी है तो दवा देकर घर भेज दिया गया। पर देर रात तबीयत ज्यादा बिगड़ गयी। परिजन रात में ही फिर जिला अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां डॉक्टरों ने टीबी रोग का हवाला देकर उसे अस्पताल में बेड देने और इलाज करने से मना कर दिया। परिजन काफी गिड़गिड़ाए तो इतना किया कि बरामदे में फर्श पर लेटाने की इजाजत दे दी, लेकिन इलाज करने कोई नहीं आया। कुछ देर बाद किशोर एड़ियां रगड़-रगड़कर वहीं मर गया।
परिजनों का कहना है कि अस्पताल में बेड होने के बावजूद मरीज को वार्ड में भर्ती नहीं किया गया। तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है की फर्श पर चादर बिछा कर मरीज के परिजन ने उसे लिटाए हुए हैं। आरोप है कि उसे वार्ड में भर्ती इसलिये नहीं किया गया क्योंकि उसे टीबी था और आखिरकार इलाज के अभाव में टीबी का मरीज दम तोड़ देता है। जब इस मामले में अस्पताल प्रशासन से बात की गई तो ज़िम्मेदारों ने दूरी बना ली। किसी तरह जिला अस्पताल के मुख्य चिकितसा अधीक्ष्क से सम्पर्क हुआ तो उन्होंने घटना का संज्ञान होने से इनकार किया। हां इतना जरूर कहा कि टीबी के मरीज को भगाया नहीं जा सकता। जिस डॉक्टर ने ऐसा किया उसकी जांच की जाएगी। सवाल ये है कि क्या प्रचार में बतायी जाने वाली योजनाओं की जमीनी हकीकत अलग होती है। या फिर सरकार की मंशा और योजनाओं पर उन्हीं का अमला अपनी लापरवाही और कारिस्तानी से पानी फेरता है।
Home / Jaunpur / मुफ्त इलाज के दौर में, अस्पताल के फर्श पर बिना इलाज एंड़ियां रगड़-रगड़कर मर गया मरीज किशोर