यानि हर माह 20 लोगों की मौत केवल सड़क हादसों में हो गई। थोड़ी सी लापरवाही न सिर्फ बहुत बड़े दुख का कारण बन जाती हैं बल्कि जानलेवा भी होती है। आए दिन सड़क हादसों से सड़कें खून से लाल हो जा रही हैं। इसके बाद भी कोई सबक नहीं ले रहा है। जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग इलाहाबाद गोरखपुर पर सबसे अधिक दुर्घटनाएं होती हैं। इस राजमार्ग पर यातायात नियमों के सांकेतिक चिह्न. बोर्ड तक नहीं है। यहां तक कि दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र का भी बोर्ड दिखाई नहीं पड़ता है। ऐसे में बड़े वाहनों से घटनाएं अक्सर हो जाती हैं। पुलिस इस तरह के मामले में केवल पोस्टमार्टम तक ही अपनी कार्रवाई सीमित रखता है। यह सच है कि जिदगी काफी अनमोल है, इसकी हिफाजत करना खुद की ही जिम्मेदारी है। इसके बाद भी हम सचेत नहीं होते है। सड़क हादसों का मुख्य कारण नशे की हालत में गाड़ी चलाना व खुद की लापरवाही सामने आई है।
लापरवाही पर प्रशासन सबकुछ देखते हुए भी मौन साधे हुए है। आप अगर सवारी वाहनों से यात्रा कर रहे है तो उसमें बैठने के बाद ही पता चल जाएगा कि आप कितनी सुरक्षित यात्रा कर रहे हैं। महानगरों में रिजेक्ट वाहन को लाकर यहां की सड़कों पर चलाया जाता है। इन वाहनों की फिटनेस की जांच भी कभी नहीं होती है। नशा और रफ्तार, ओवरलोड वाहन, ट्रैक्टर ट्रॉली, जुगाड़ गाड़ी, जर्जर सड़कें, खराब ट्रैफिक सिग्नल, सड़क पर गलत पार्किंग, मुख्य सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे आए दिन हादसों के कारण बनते हैं। इसके बाद भी प्रशासनिक अमला मौन साधे हुए है।
सड़क हादसों सबसे अधिक चार पहिया वाहन ही दुर्घटना के शिकार होते हैं। वाहन चलाते समय युवा गति पर नियंत्रण नहीं रख सकते हैं। वे वाहनों को बेहिसाब गति से चलाते हैं। कम उम्र में ही वह कमांडर, पिकअप जैसे वाहनों की स्टेयरिग पकड़ लेते हैं। इसके बाद उसे फिल्मी स्टाइल में अपने हिसाब से चलाते हैं। ऐसे में हादसे हो जाते हैं। शहर में कम उम्र बाइक सवारों से भी हादसे अधिक हो रहे हैं। सड़क हादसे में घायलों की हालत सबसे अधिक खतरनाक होती है। घायल को ठीक होने में कई माह लग जाते हैं। वहीं इस तरह के हादसों में मृतक के परिवार को उबरने में सालों लग जाते हैं। ऐसे में वाहनों को चलाते समय पूरी सावधानी बरतनी चाहिए।