गांव में गंदगी है तो उनकी बला से। ग्रामीण बाजारों की नालियां जाम पड़ी हैं, इन गांवों के सार्वजनिक मार्गों पर गंदगी का ऐसा अंबार लगा हुआ है कि उस पर चलना ग्रामीणों के लिए कठिन हो गया है। विभाग के अधिकारी न तो सफाई व्यवस्था का जायजा लेते हैं न ही शिकायतों पर कार्यवाही करते है इससे स्थिति बदतर होती जा रही है। स्कूलों आदि में गंदगी की भरमार है ग्राम प्रधान अपने निजी लाभ के लिए सफाई कर्मियों का खुली छूट देकर सरकारी धन का दुरूपयोग करा रहे हैं।
मिटाया जा रहा तालाबों और कुंओं का अस्तित्व
जौनपुर. जल ही जीवन है। मानव सहित पशु पक्षियों के लिए भी पानी अति आवश्यक है। जल के महत्व को समझने के बावजूद आज पोखरों, तालाबों की उपेक्षा हो रही है। जिले के े अधिकांश गांवों में तालाबों, कुओं को कूड़ा डाल कर पाटा जा रहा है तो कहीं तालाब व पोखरे अतिक्रमण की चपेट में हैं। पढ़े लिखे जिम्मेदार ही कुओं व पोखरों का अस्तित्व मिटाने पर तुले हुए हैं। केंद्र सरकार से लेकर प्रदेश सरकार तक जल संरक्षण के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। इसके लिए जन जागरुकता लाने को युद्ध स्तर पर लगी है। जबकि जिले में लोगों की उदासीनता के चलते यह व्यवस्था परवान चढ़ने से पहले ही यहां पूरी तरह ध्वस्त हो गई है।
कुछ वर्ष पहले इन्हीं पोखरों, तालाबों व कुओं से लोग खेतों की सिचाई से लेकर पीने का पानी भी उपयोग किया करते थे कितु अब इनका अस्तित्व ही समाप्त होता जा रहा है। समय रहते सब सचेत नहीं हुए तो इसका खामियाजा मानव से लेकर पशु पक्षियों तक सबको भुगतना पड़ेगा। तालाब, पोखरों व कुओं के सूख जाने से सबसे ज्यादा कष्ट पशु पक्षियों को हो रहा है। आज जिस तरह से कुओं, तालाबों, पोखरों पर अतिक्रमण हो रहा है उस पर कड़ाई से रोक नहीं लगी तो इनका अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। लोगों ने कुओं व तालाबों पर अतिक्रमण करने वालों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
by Javed Ahmad
by Javed Ahmad