सवाल: क्या अब ये माना जा सकता है कि कांतिलाल भूरिया के साथ आपके जो मतभेद थे वो खत्म हो गए?
जवाब: जहां कांग्रेस पार्टी बीच में आती है वहां वैचारिक मतभेद नहीं रहते।
सवाल: चार दिन पहले आपके साथी मथियास भूरिया ने सोशल मीडिया पर कांतिलाल भूरिया को हराने के लिए पोस्ट डाली है। इस बारे में क्या कहेंगे?
जवाब: सभी साथियों से चर्चा हो चुकी है। आज के बाद से सब लोग कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर काम करेंगे।
सवाल: कांतिलाल भूरिया पहले ही कह चुके हैं कि आपकी कांग्रेस में कभी वापसी नहीं होने देंगे तो क्या वे इस निर्णय को मानेंगे?
जवाब: कांग्रेस पार्टी में जो हाईकमान का निर्देश होता है उसका पालन होता है। उनको भी उसका पालन करना पड़ेगा।
पार्टी से किसी तरह के कोई निर्देश नहीं मिले हैं-
जेवियर मेड़ा की कांग्रेस में वापसी को लेकर पार्टी से किसी तरह के कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं। उनके बोलने से कुछ नहीं हो जाता। यदि भाजपा के नेता भी कहेंगे कि वे कांग्रेस के लिए काम करना चाहते हैं तो हम इनकार थोड़ी करेंगे। ये उनकी मर्जी है।
निर्मल मेहता, जिला कांग्रेस अध्यक्ष, झाबुआ
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वरिष्ठ नेताओं की समझाइश पर माने
विधानसभा चुनाव में झाबुआ सीट से जेवियर की बजाय सांसद कांतिलाल भूरिया के बेटे डॉ. विक्रांत भूरिया को कांग्रेस ने उम्मीदवार घोषित किया था। इससे नाराज होकर जेवियर ने निर्दलीय चुनाव लड़ा। इसके परिणामस्वरूप झाबुआ कांग्रेस को झाबुआ में हार का सामना करना पड़ा। झाबुआ-आलीराजपुर जिले की अन्य चार सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत हासिल की। उधर, जेवियर ने विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद लोकसभा चुनाव में भी निर्दलीय खड़े होने की घोषणा की थी। इससे कांग्रेस चिंतित थी। वर्तमान में राजनीतिक हालात में कांग्रेस रिस्क नहीं लेना चाहती। जेवियर का दावा है शनिवार को उन्हें दिल्ली बुलाया था और रविवार को इंदौर में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में आला नेताओं से चर्चा हुई। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस के लिए काम करने का निर्णय लिया।
यदि निर्दलीय नहीं लड़ते तो जीत जाती कांग्रेस
विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट नहीं मिलने से नाराज पूर्व विधायक जेवियर मेड़ा ने झाबुआ विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ा था। कुल 2 लाख 70 हजार 254 मतदाताओं में से 1 लाख 74 हजार 455 मतदाताओं ने मतदान किया। जेवियर ने कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाते हुए 35 हजार 941 मत प्राप्त किए। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार एवं सांसद कांतिलाल भूरिया के बेटे डॉ. विक्रांत भूरिया को 56 हजार 161 मत मिले। भाजपा के गुमानसिंह डामोर को 66 हजार 598 मत आए। इस तरह गुमानसिंह ने 10 हजार 437 मतों के अंतर से डॉ. विक्रांत को हरा दिया। इस लिहाज से देखा जाए तो यदि जेवियर निर्दलीय चुनाव नहीं लड़ते तो झाबुआ विधानसभा में भी कांग्रेस प्रत्याशी की जीत तय थी।
कांग्रेस ने 6 साल के लिए किया था निष्कासित
जेवियर मेड़ा के बगावत कर निर्दलीय चुनाव लडऩे पर कांग्रेस ने उनके साथ अजजा आयोग के पूर्व सदस्य भूरसिंह अजनार, पूर्व पार्षद अविनाश डोडियार, पिटोल के पूर्व सरपंच काना गुंडिया, बोरी के कांग्रेस नेता आदित्यसिंह, गेहलर बड़ी के सरपंच धूमा भाबोर व ग्राम पंचायत भोडली के सरपंच सुमेरसिंह को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया था। इस दौरान सांसद कांतिलाल भूरिया ने जेवियर को गद्दार बताया था तो वहीं अजजा आयोग के पूर्व सदस्य भूरसिंह पर शराब के अड्डे चलाने जैसा गंभीर आरोप लगाया था। इसके जवाब में जेवियर ने कांतिलाल पलटवार करते हुए बयान जारी किया था कि मतदाताओं को पता है कि 2013 के चुनाव में किसने पार्टी से गद्दारी करते हुए अपनी भतीजी को मेरे खिलाफ चुनाव लड़वाया था।