झाबुआ विधानसभा के साथ यह संयोग जुड़ा है कि यहां दो बार कांग्रेस में बगावत हुई तो इसका फायदा भाजपा को जीत के रूप में मिला। सबसे पहले वर्ष 2013 में कांग्रेस ने जेवियर मेड़ा को अपना प्रत्याशी बनाया। टिकटनहीं मिलने से नाराज कांग्रेस नेत्री कलावती भूरिया ने बगावत करते हुए निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया। जब परिणाम आए तो भाजपा प्रत्याशी शांतिलाल बिलवाल ने जीत हासिल की। इसी तरह 2018 के विधानसभा चुनाव में भी हुआ। कांग्रेस ने इस बार युवा नेता डॉ. विक्रांत भूरिया को अपना प्रत्याशी घोषित किया तो जेवियर मेड़ा निर्दलीय चुनाव में उतर गए। लिहाजा भाजपा प्रत्याशी गुमानसिंह डामोर ने अपने पहले ही चुनाव में बड़ी जीत हासिल की। दोनों ही बार यदि कांग्रेस में बगावत नहीं होती तो शायद परिणाम कुछ और होते। इसी तरह की स्थिति का
सामना इस बार भाजपा को करना पड़ रहा है।
भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे कल्याणसिंह डामोर फिलहाल पूरी ताकत से प्रचार और जनसंपर्क में लगे हैं। इस दौरान शनिवार को ग्राम गेहलर छोटी में उनकी भाजपा कार्यकर्ताओं से कुछ विवाद भी हो गया था। जब उनसे सवाल किया गया कि वे कुछ समय पहले तक सांसद गुमानसिंह डामोर के खास हुआ करते थे तो कल्याणसिंह बोले-मैं सिर्फ मतदाताओं का खास हूं। मैंने चुनाव लडऩे के लिए ही नामांकन भरा है और पूरी ताकत से लड़ रहा हूं।